फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आरोपी शोभित चतुर्वेदी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने न केवल एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज की, बल्कि गिरफ्तारी पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने अपने आदेश में साफ कहा कि शस्त्र क्लर्क और शोभित के बीच मिलीभगत बिना वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी के संभव नहीं लगती।
क्या है मामला?
- आगरा के थाना नाई की मंडी में केस दर्ज
- शोभित पर गलत जानकारी देकर दो लाइसेंस लेने और एक बेरेटा पिस्तौल खरीदने का आरोप
- पूर्व में उत्तराखंड से जारी रिवॉल्वर के लाइसेंस को छुपाया गया
- एक अन्य लाइसेंस में जन्मस्थान की गलत जानकारी दी गई
शस्त्र क्लर्क संजय कुमार की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
एसटीएफ की जांच पर भी उठे सवाल
इस केस में एसटीएफ ने 9 महीने की जांच के बाद एफआईआर दर्ज की, लेकिन 16 दिन बीतने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं होने से विवेचना पर सवाल उठने लगे हैं।
जिन लोगों पर केस दर्ज है:
- शोभित चतुर्वेदी (मीडिया कर्मी)
- भूपेंद्र सारस्वत (प्रॉपर्टी डीलर)
- शिव कुमार सारस्वत (भूपेंद्र के पिता)
- सेवानिवृत्त क्लर्क संजय कपूर
- राजेश बघेल
- मोहम्मद अरशद
- जैद
लाइसेंस भी डुप्लीकेट, पिस्तौल की रसीद नहीं
जांच में यह भी सामने आया कि शोभित और अन्य ने पिस्तौल की खरीद पर कोई पक्की रसीद नहीं दी, और न ही हथियार विक्रेताओं की जानकारी स्पष्ट कर सके। लाइसेंसों के डुप्लीकेट होने की पुष्टि भी हो चुकी है।
शिव कुमार सारस्वत का नाम पूर्व में एक भाजपा नेता को अवैध रूप से शस्त्र देने के मामले में भी आ चुका है, जिस पर केस दर्ज है।