यूपी में बिजली का “रिकॉर्ड” बना, लेकिन गांवों में अंधेरे का आलम! रोस्टर से भी कम हो रही आपूर्ति

एक ओर उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति के नए रिकॉर्ड बनाए जाने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। ग्रामीण इलाकों में तय रोस्टर से भी कम बिजली मिल रही है और स्थानीय फॉल्ट की वजह से हालात और बिगड़ रहे हैं।

क्या कहता है आंकड़ा?
राज्य में बिजली की मांग 31,486 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। दावा है कि पूरी मांग को पूरा किया जा रहा है, लेकिन उपभोक्ताओं को मिल रही आपूर्ति रोस्टर से भी कम है:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे की बजाय औसतन 17 घंटे 26 मिनट बिजली दी गई
  • नगर पंचायतों में 21.5 घंटे के बजाय 21 घंटे
  • बुंदेलखंड में 20 घंटे की जगह 19 घंटे 30 मिनट बिजली ही मिल सकी

इसके अलावा स्थानीय फॉल्ट और लाइन ब्रेकडाउन से हालत और खराब हो जाती है, जिससे खासकर ग्रामीण उपभोक्ता बेहाल हैं।

विद्युत उपभोक्ता परिषद का आरोप:
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब 24 घंटे बिजली देने का अधिकार हर उपभोक्ता को है, तो फिर रोस्टर क्यों? उन्होंने कहा कि “रिकॉर्ड आपूर्ति” का जश्न तभी तक टिकता है, जब तक मांग का दबाव नहीं बढ़ता — उसके बाद फॉल्ट और ट्रिपिंग के चलते सप्लाई गिर जाती है।

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