किसानों की मांग और धरना
मथुरा के बलदेव क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने बिजली घर पर चल रहा धरना स्थगित कर दिया है. पिछले 15 दिनों से क्षेत्र में हो रही अघोषित बिजली कटौती से नाराज किसानों ने शनिवार को ग्रामीणों के साथ मिलकर चार घंटे तक सड़क जाम की थी. इसके बाद उन्होंने बिजली घर पर अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की. किसानों की मांग थी कि झरोठा में बिजली घर का निर्माण और मोहनपुर फीडर के लिए नया ट्रांसफॉर्मर लगाया जाए. इस आंदोलन ने प्रशासन और बिजली विभाग का ध्यान आकर्षित किया.
प्रशासन के साथ वार्ता
किसानों के आंदोलन के बाद पुलिस और बिजली विभाग के अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई शुरू की. विद्युत कार्यकारी अभियंता गौरव कुमार, एसडीएम महावन कंचन गुप्ता, सीओ महावन संजीव राय और थाना प्रभारी शैलेन्द्र सिंह ने भाकियू पदाधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की. इस दौरान अधिकारियों ने किसानों की समस्याओं को सुना और तत्काल समाधान का आश्वासन दिया. वार्ता के बाद दर्जनभर गांवों में बंद पड़ी बिजली आपूर्ति को तुरंत बहाल कर दिया गया. अधिकारियों ने झरोठा बिजली घर निर्माण और मोहनपुर फीडर के लिए ट्रांसफॉर्मर लगाने का कार्य शुरू करने की बात कही.
दो दिन का आश्वासन और सात दिन का अल्टीमेटम
भाकियू मंडल अध्यक्ष राजकुमार तौमर ने बताया कि अधिकारियों ने दो दिनों के भीतर बिजली से संबंधित कार्यों को पूरा करने का वादा किया है. इसके जवाब में किसानों ने सात दिन का अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस अवधि में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे दोबारा आंदोलन शुरू करेंगे. किसानों का कहना है कि लंबे समय से बिजली कटौती के कारण उनकी फसलों और दैनिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है. इस आंदोलन ने क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की गंभीर समस्या को उजागर किया है.
सुधार कार्य शुरू
भाकियू नेता मुकेश रावत ने बताया कि बिजली विभाग ने सुधार कार्य शुरू कर दिया है. झरोठा में बिजली घर का निर्माण और मोहनपुर फीडर के लिए नया ट्रांसफॉर्मर लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. इसके अलावा अन्य बिजली संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. किसानों ने प्रशासन के इस रुख की सराहना की, लेकिन साथ ही साफ किया कि वे सात दिन बाद स्थिति की समीक्षा करेंगे.
क्षेत्र में बिजली संकट की गंभीरता
बलदेव क्षेत्र में बिजली कटौती लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है. अघोषित कटौती के कारण किसानों को खेती में नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस आंदोलन ने प्रशासन को इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया. स्थानीय लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि बिजली आपूर्ति में सुधार होगा और उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान निकलेगा.