पीलीभीत में बुधवार सुबह उस समय तनाव बढ़ गया जब नगर पालिका की टीम ने नकटादाना चौराहे पर स्थित अधिशासी अधिकारी (ईओ) के आवास में चल रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के जिला कार्यालय को खाली कराने की कार्रवाई शुरू की। सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई में सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर और ईओ संजीव कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल मौके पर पहुंचा। यह भवन, जो 2006 से सपा कार्यालय के रूप में उपयोग में था, 2020 में आवंटन की अवधि समाप्त होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था।
नगर पालिका ने एक महीने पहले कार्यालय खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की थी। 10 जून को कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा कर इसे खाली करने का निर्देश दिया गया था। मंगलवार को पहली बार खाली कराने की कोशिश की गई, लेकिन सपा नेताओं के अनुरोध पर छह दिन का समय दिया गया। समय पूरा होने पर बुधवार को कार्रवाई शुरू हुई। टीम ने एक बगल के कमरे का ताला तोड़ा और अंत में भवन पर नगर पालिका का ताला लगा दिया।
जैसे ही कार्रवाई की खबर फैली, सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा सहित कई कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे। अधिकारियों के साथ उनकी तीखी बहस हुई। स्थिति तब बिगड़ गई जब पुलिस ने जग्गा को धक्का देकर हटाया, जिससे धक्कामुक्की शुरू हो गई। इसके बाद पुलिस ने जग्गा, समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार राजू, यूसुफ कादरी और पिंटू यादव सहित 15 से अधिक पदाधिकारियों को हिरासत में ले लिया। सभी को पुलिस लाइन ले जाया गया, जिससे नकटादाना चौराहे पर अफरा-तफरी का माहौल रहा।
कार्यालय आवंटन का इतिहास
नकटादाना चौराहे पर स्थित यह भवन मूल रूप से ईओ का आवास था, जिसे 2006 में नगर पालिका ने सपा कार्यालय के लिए आवंटित किया था। 2020 में आवंटन की अवधि समाप्त होने के बावजूद सपा ने इसका उपयोग जारी रखा। हाल ही में नगर पालिका ने इसे खाली कराने का फैसला लिया और पुलिस व प्रशासनिक सहयोग के लिए पत्र लिखे गए।
कार्रवाई के बाद स्थिति
नगर पालिका ने भवन पर कब्जा कर लिया, लेकिन इस कार्रवाई ने सपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा कर दिया। नेताओं की हिरासत और पुलिस की सख्ती ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। यह घटना पीलीभीत में चर्चा का विषय बनी हुई है और इसके राजनीतिक नतीजे देखने को मिल सकते हैं।