लालच देकर कराया धर्म परिवर्तन, 1000 लोगों की ‘घर वापसी’, थारू जनजाति को बनाया जा रहा था निशाना

उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर समुदायों को निशाना बनाकर धर्म परिवर्तन कराए जाने का मामला सामने आया है। सिख संगठनों के प्रयासों से अब तक करीब 1000 लोगों की घर वापसी कराई जा चुकी है।

पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिलों में रहने वाली राय सिख और थारू जनजाति की आबादी को मिशनरी संगठनों द्वारा कथित तौर पर धन, इलाज और सरकारी योजनाओं के लाभ का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। सिख समुदाय के सामाजिक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई और फरवरी 2025 से सक्रिय रूप से ‘घर वापसी’ अभियान चला रहे हैं।

ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने बताया कि वर्ष 2020 से अब तक करीब 3000 लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया, जिसमें से 1000 लोग फिर से सिख धर्म में लौट चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्य योजनाबद्ध तरीके से किया गया और कुछ मामलों में धर्म न बदलने पर हिंसा भी की गई।

पीड़िता की आपबीती:

एक पीड़िता संत कौर और उनके पति रतन सिंह ने बताया कि उन्हें बीमारी से इलाज और ₹50,000 का लालच देकर धर्म बदलने को कहा गया, लेकिन बाद में न तो इलाज हुआ, न पैसा मिला। रतन सिंह के साथ मारपीट भी की गई।

प्रशासन की भूमिका:

काउंसिल के अनुसार, पीलीभीत के डीएम और एसपी की सहायता से यह अभियान सफल हो सका। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है और धर्मांतरण रैकेट से जुड़े कुछ लोगों को जेल भी भेजा गया है

मिशनरी गतिविधियों की रणनीति:

प्रेसवार्ता में बताया गया कि इन मिशनरी समूहों द्वारा लोगों को पास्टर बना कर दोहरी धार्मिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। शनिवार को सिख सभा और रविवार को हिंदू-थारू समुदाय के लिए अलग धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।

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