आगरा, 21 जून 2025 —
ईरान और इस्राइल के बीच जारी युद्ध का असर अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति से निकलकर भारतीय हस्तशिल्प उद्योग पर भी गहराने लगा है। पहले से रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ जैसे झटकों से जूझ रहे आगरा के मार्बल हैंडीक्राफ्ट कारोबार को अब इस संघर्ष ने गंभीर संकट में डाल दिया है।
आगरा में हर साल लगभग 800 करोड़ रुपये का हस्तशिल्प व्यापार होता है, जिसमें बड़ी हिस्सेदारी विदेशी पर्यटकों की होती है – विशेष रूप से पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से आने वाले पर्यटक इस बाजार के मुख्य ग्राहक हैं। लेकिन युद्ध के चलते इन क्षेत्रों से पर्यटक न के बराबर आ रहे हैं, जिससे 65% तक मांग में गिरावट आई है। इसका सीधा असर उन करीब 35,000 शिल्पकारों पर पड़ा है, जिनकी आजीविका इसी उद्योग पर निर्भर है। कई परिवारों के घरों के चूल्हे तक ठंडे पड़ने लगे हैं।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन और हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, यदि यह युद्ध लंबे समय तक चलता रहा तो हालात और बदतर हो सकते हैं, जिससे हस्तशिल्प उद्योग की रीढ़ टूटने का खतरा है। स्थानीय व्यापारी सरकार से आर्थिक राहत और नए बाजार तलाशने की मांग कर रहे हैं, ताकि इस पारंपरिक कला और इससे जुड़े कारीगरों को बचाया जा सके।