उच्च तापमान में भी संभव होगी आलू की खेती
उत्तर प्रदेश के आगरा में आलू किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगी है। अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र की शोध शाखा सींगना में स्थापित होने जा रही है, जो उच्च तापमान में भी आलू की खेती को संभव बनाएगी। इस केंद्र के जरिए ऐसी आलू की किस्में विकसित की जाएंगी, जो रबी के साथ-साथ खरीफ मौसम में भी उगाई जा सकेंगी। इससे किसानों को साल में दो बार फसल लेने का अवसर मिलेगा। केंद्रीय कैबिनेट ने इस परियोजना के लिए 111.5 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यह शोध केंद्र 138 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला होगा, जिसमें 10 हेक्टेयर पर आलू की नई किस्मों पर अनुसंधान होगा।
पोषक तत्वों से भरपूर आलू की किस्में
उप निदेशक उद्यान डॉ. धर्मपाल सिंह ने बताया कि आगरा के मौसम को ध्यान में रखकर आलू के बीज तैयार किए जाएंगे। ये बीज न केवल उच्च तापमान में उग सकेंगे, बल्कि इनमें जिंक, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होंगे। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में खरीफ सीजन में आलू की खेती पहले से हो रही है, और अब आगरा के किसान भी इस तकनीक का लाभ उठा सकेंगे। शोध केंद्र का लक्ष्य खाद्य प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त और निर्यात योग्य आलू की किस्में विकसित करना है। इससे आलू आधारित उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा और आगरा दक्षिण एशिया में आलू उत्पादन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाएगा।
किसानों के लिए सरकारी प्रयास और भंडारण सुविधाएं
उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आलू किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। शोध केंद्र के शुरू होने से न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार होगा। आगरा कोल्ड स्टोर एसोसिएशन के अध्यक्ष भुवेश अग्रवाल ने बताया कि जिले में 325 कोल्ड स्टोर हैं, जिनमें 6 करोड़ पैकेट (50 किलो प्रति पैकेट) आलू का भंडारण हो सकता है। वर्तमान में आलू को 3 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहित करना पड़ता है, लेकिन नई किस्में ऐसी होंगी जिन्हें 10 से 12 डिग्री पर भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। इससे भंडारण लागत कम होगी और आलू की मिठास बनी रहेगी।
कृषि नीति में बदलाव की मांग
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने सुझाव दिया कि आलू को बागवानी से हटाकर कृषि क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे यह स्पष्ट हो कि देश को कितने आलू की जरूरत है, कितना निर्यात होगा और कितना प्रसंस्करण के लिए उपयोग होगा। इससे किसानों को लाभ होगा और आलू की बर्बादी रुकेगी। आगरा में 2014 में घोषित आलू प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना अभी तक पूरी नहीं हुई है, जिसे जल्द लागू करने की आवश्यकता है।