आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक बड़ी गलती बन रही हादसों की वजह, सबसे ज्यादा मौतें युवाओं की

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर लगातार हो रहे हादसों ने चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में फतेहाबाद क्षेत्र में एक बस और टैंकर की टक्कर में तीन लोगों की मौत हो गई। एक्सप्रेसवे पर सबसे बड़ी दुर्घटना की वजह नींद की झपकी और तेज रफ्तार बताई जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी की बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि वर्ष 2024 में इस मार्ग पर 1391 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से 811 हादसे ड्राइवर को नींद की झपकी आने से और 103 ओवरस्पीड के कारण हुए। इसके अलावा जानवरों से टकराव (34), टायर फटना (90) और अन्य कारणों से 356 हादसे हुए।

इन घटनाओं में कुल 190 लोगों की जान चली गई, जिनमें से अधिकतर युवा थे। 1663 लोग घायल हुए और 122 को गंभीर चोटें आईं, जैसे सिर की चोटें और मल्टीपल फ्रैक्चर। इसके बावजूद, अब तक ओवरस्पीड और नींद की झपकी को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय लागू नहीं हुए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा 732 हादसे कारों से हुए। इसके अलावा, ट्रक और भारी वाहनों से 392, बसों से 110 और दोपहिया वाहनों से 145 हादसे हुए। वहीं, सड़क पार करने या पैदल चलने के दौरान 12 लोगों की जान भी गई।

बैठक में यह मांग उठी कि हादसों का डेटा हर साल सार्वजनिक किया जाए, ताकि सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जा सके। साथ ही एक्सप्रेसवे पर चेतावनी संकेतक, रेस्ट ज़ोन और तेज रफ्तार पर निगरानी के लिए अधिक तकनीकी उपाय जरूरी हैं।

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