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बीडीओ व एडीओ पंचायत की कुर्सी खाली, ब्लॉक अछनेरा में ‘लापरवाही राज’, रामभरोसे ब्लॉक, फरियादी धूप में भटकते रहे, सरकारी तंत्र बना तमाशबीन

Published On: November 19, 2025
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अछनेरा। ब्लॉक अछनेरा का माहौल मंगलवार को ऐसा था जैसे कार्यालय नहीं, बल्कि सुनसान चबूतरा हो। जिस दफ्तर से गांवों का विकास तय होना चाहिए, वहीं का हाल देखकर लगेगा मानो जिम्मेदारी और व्यवस्था ने यहां से पलायन कर लिया हो। पंचायत विकास अधिकारी (बीडीओ) और एडीओ पंचायत की कुर्सियां दोपहर 12 बजे के बाद से ही खाली पड़ी रहीं। इनकी गैरहाज़िरी ने कर्मचारियों को भी ‘फ्री पास’ दे दिया और देखते ही देखते पूरा कार्यालय वीरान हो गया। योगी सरकार ने अधिकारियों व कर्मचारियों को समय से कार्यालयों में आने-जाने के सख्त निर्देश दिए हैं, मगर ब्लॉक अछनेरा में इन आदेशों को खुलेआम ताक पर रखा जा रहा है। यहां का स्टाफ मानो अपनी ही सरकार चला रहा हो—जब इच्छा हुई तब पहुंच गए, जब मन हुआ तो ऑफिस छोड़कर ऐसे गायब हुए जैसे कोई पूछने वाला हो ही नहीं। दोपहर करीब 2 बजे ब्लॉक कार्यालय का वास्तविक दृश्य और भी चौंकाने वाला था। पूरे दफ्तर में सिर्फ एक चपरासी ड्यूटी निभाता हुआ मिला, जबकि बाकी कुर्सियां अफसरों की उदासीनता और कर्मचारियों की मनमानी का मौन सबूत बनी हुई थीं। वहीं, अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद लेकर पहुंचे फरियादी कर्मचारियों की तलाश में गलियारों में चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई की तकलीफ तक नहीं उठाई। फरियादियों का कहना था कि महीनों से ब्लॉक में यही स्थिति बनी हुई है। फाइलें रुकी पड़ी हैं, योजनाओं में देरी होती जा रही है, और ग्राम पंचायतों के जरूरी कार्य अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ते जा रहे हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि इस लापरवाह रवैये पर कोई नियंत्रण या निगरानी नजर नहीं आती। सरकारी व्यवस्था की यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि ब्लॉक अछनेरा में ‘कामकाज’ से अधिक ‘कामचोरी’ को महत्व दिया जा रहा है। अगर प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती, तो ग्रामीणों की समस्याएँ यूँ ही फाइलों के नीचे दबती रहेंगी, और दफ्तर की कुर्सियों पर बैठा सन्नाटा विकास योजनाओं का मज़ाक उड़ाता रहेगा।
उपजिलाधिकारी नीलम तिवारी ने बताया कुछ कर्मचारियों कि ड्यूटी सी आई आर मे लगी हुईं है अगर ड्यूटी नहीं लगी होंगी अपनी जिम्मेदारी से गायब होंगे तो कार्यवाही कि जाएंगी।

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