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350वीं शहीदी शताब्दी के पावन अवसर पर अमृतवेला कीर्तन दीवान

Published On: November 26, 2025
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  • नौ दिवसीय समागम का आज श्रद्धाभाव से सम्पन्न समापन

“धरम हेत साका जिन कीया, सीस दिया पर सिर न झुकाया,
तेग बहादर के चलत भयो जगत को सोग,
है-है सब जग भयो, जै-जै सुरलोक”

आगरा। गुरुद्वारा श्री गुरु दशम पातशाह शाहगंज, आगरा में 350वीं शहीदी शताब्दी के पावन उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय अमृतवेला कीर्तन दीवान का आज अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और गुरु-चरणों में पूर्ण समर्पण के साथ पावन समापन हुआ।
प्रातः 4:00 बजे से आरंभ हुए इस दिव्य अमृतवेला समागम में आज कीर्तनकार भाई साहिब भाई अजीत सिंह जी (देहरादून) ने अपनी अमृतमयी, मधुर और रसपूर्ण गुरबाणी द्वारा संगत को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया, उनकी सेवा ने संगत के मन-चित्त को गुरबाणी की ज्योत में जोड़ते हुए वातावरण को दिव्यता, शांति और आनंद से भर दिया।
गत नौ दिनों से प्रतिदिन अमृतवेला में संगतें गुरमत विचार, सिमरन, शब्द-कीर्तन और पाठ की कृपा का अमृत रस लेते हुए आध्यात्मिकता में डूबी रहीं। समापन दिवस पर संगत ने विशेष रूप से सलोक महला 9 सहज पाठ साहिब के भोग उपरांत जागती ज्योत धन धन श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष अरदास की—कि गुरु साहिब जी हर इंसान को सत्य, साहस, सेवा और त्याग के मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें।संगत ने इस पूरे समागम को अपने जीवन का अमूल्य आध्यात्मिक अवसर बताते हुए कहा—गुरुओं द्वारा बख्शी गई अमृतवेला की परम्परा जीवन में आनंद, शांति, स्थिरता और प्रभु-चरणों से जुड़ाव प्रदान करती है। विशेष रूप से गुरद्वारा गुरु का ताल के महापुरुष संत बाबा प्रीतम सिंह जी का विशेष सहयोग रहा, व्यवस्था में रहे। प्रधान बोबी आनंद, गुरु सेवक श्याम भोजवानी, लव पोपली, अजय अरोड़ा, राजकुमार त्रिलोकानी, रोशनी कुकरेजा, भूमि गनवानी, वर्षा करमचंदानी, दीपा लालवानी, कोमल कोरानी, ममता, हरजीत कौर, मुस्कान मोहनानी, हर्षा दरियानी, काजल वाधवानी, विनीता, विजेता आनंद, मीना खेमानी, नीलू धनवानी, दीपा गिदवानी, रोशनी मनवानी, निधि, दिया एवं समस्त अमृतवेला परिवार।

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