- 7-हज़ार वोटर करोड़ों की निधि फ़िर भी श्मशान घाट गांव से 5 कि.मी.दूर, ग्रामीण बेहाल
- ग्रामीण बोले-गांव में विकास का अता-पता नहीं और प्रधान कहते है 45 वर्षों से इसलिए जीत रहा हूं, क्योंकि काम किए हैं
मलपुरा। ब्लॉक अकोला की ग्राम पंचायत मनकैंडा जिसमें चार गांव आते है, जिनका हाल किसी भी जिम्मेदार व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। गांव में सात हज़ार वोटर और करोड़ों रुपये की निधि होने के बावजूद आज तक कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं हुआ। शनिवार को दैनिक भास्कर की टीम ने “पंचायत का हाल कार्यक्रम” के तहत गांव का दौरा किया। जहां विकास कार्यों के दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क देखने को मिला। तीन मजरा मिलकर एक ग्राम पंचायत मनकैंडा बनी है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि गांव से 5 किलोमीटर दूर खारी नदी में शमशान घाट को बनवाया है। लोग मुर्दे को कंधों पर लेकर इतनी दूर कैसे ले जाएं।
ग्रामीण भगत सिंह ने आरोप लगाया कि, गांव में आज तक कोई कार्य नहीं हुआ। गांव की पोखरों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। बरसात के समय मुख्य मार्ग पर पानी भर जाता है। तालाब के बगल में सरकारी प्राथमिक विद्यालय है। जो बरसात में गंदा पानी स्कूल के अंदर तक भर जाता है। बरसात के समय में बच्चे स्कूल नहीं जा सकते। गांव के मुख्य मार्गों पर इतना जल भराव रहता है कि बुजुर्ग और बच्चे निकल ही नहीं सकते।
ग्रामीण अरब सिंह ने आरोप लगाया कि गांव के परिक्रमा मार्ग पर आज तक कोई सीसी नहीं हुई है। तालाबों के पानी का कहीं कोई निकास नहीं है। बरसात के समय तालाबों का पानी उफन कर घरों में घुस जाता है। जल भराव की वजह से मकानों में दरारें आ गई हैं। हाल ही में एक मकान की सीलन की वजह से छत गिर गई है। वही विक्रम सिंह पुत्र फूल सिंह ने आरोप लगाया कि घर चारों तरफ से फट गया है। कई बार प्रधान से शिकायत कर ली, लेकिन मेरा सरकारी आवास योजना में मकान के लिए चयन नहीं हुआ। घर गिरने की कगार पर है। रात में सोते वक्त डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे न दब जाए। गरीबी के चलते दवा नहीं करा सका इसलिए पत्नी मर गई। जो लोग पैसे वाले हैं। उनके लिए सरकारी आवास आवंटन कर दिए हैं।
ग्रामीण सुरेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि गांव में आज तक गरीबों के लिए आवास योजना आवंटन नहीं हुई है। जिन गरीबों को आवश्यकता है। उनको आवासीय योजना का लाभ नहीं मिला है। प्रधान ने उनके नाम भेज दिए हैं। जो आवासीय योजना के हकदार नहीं थे। गांव में जो ग्रामीण भूमिहीन हैं। उनकी लगभग संख्या तीन हज़ार है। लेकिन उनके लिए गांव में आज तक शमशान की व्यवस्था नहीं हुई है। बता दें, कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य ने शमशान भूमि के लिए पैसा आवंटित किया था। लेकिन प्रधान ने गांव से 5 किलोमीटर दूर खारी नदी में श्मशान घाट बनवा दिया है। अब ग्रामीण परेशान हैं।
समाजसेवी सावित्री चाहर ने आरोप लगाया कि पंचायत में प्रधान ने कोई भी अमृत सरोवर नहीं बनवाया है। एक भी तालाब पोखर का सौंदर्य करण नहीं हुआ है। गांव मनकैडा में करीब 3 हज़ार लोग भूमिहीन है। लेकिन आज तक श्मशान घाट नहीं बना है। ऐसे में वह लोग दाह संस्कार करने कहां जाएं। लाडम गांव में ग्रामीण प्रथम ने जमीन न होने के कारण अपने दरवाजे पर ही पिता का दाह संस्कार किया था। TTS टंकी गांव में सात लगी है। 6 बंद पड़ी है। एक चालू है। जिनके घरों के पास टंकी लगी हैं। उन्होंने टंकी अपने कब्जे में ले ली है। किसी को पानी नहीं भरने देते। दावा करती हूं कि पंचायती घर पर 500 लीटर की टंकी प्रधान के द्वारा लगवाई गई थी। जिसका पैसा 2 लाख 90 हज़ार खाते से निकाले हैं।
प्रधान राजवीर सिंह चाहर का बयान- आरोप बेबुनियाद,पंचायत में विकास कार्यों की गंगा बह रही है
प्रधान का कहना है कि ग्रामीणों के आरोप आधारहीन हैं। उनका दावा है कि चार प्राइमरी स्कूल, दो जूनियर स्कूल की बाउंड्री वॉल बनवाई हैं। सचिवालय के साथ लर्निंग सेंटर नगला कारे में, उप स्वास्थ्य केंद्र मनकैंडा में राजकीय पॉलिटेक्निक विद्यालय नगला सावला में जो ग्राम सभा की जगह देकर चयनित कराई हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मनकैंडा के लिए ग्राम सभा की जगह दी है और कार्य चल रहा है। 18 टीटीएस ग्रामीणों के लिए लगवाई हैं। 25 टंकी ग्राम निधि से 500 लीटर की लगवाई है। 14 आवास लोहिया योजना के अंतर्गत बनवाए हैं। 16 आवास मुख्यमंत्री योजना से बनवाए हैं। वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, विधवा पेंशन, करीब पंचायत में 100 से ज्यादा कार्रवाई हैं। मनरेगा से चकरोड पर मिटटी कार्य और नाली खुदाई का कार्य करवाया है। 15 बीघा जमीन पर वृक्षारोपण करवाया है। चार प्राइमरी विद्यालयों की विट्री टाइल्स का कार्य साथ ही सफाई का कार्य करवाया है। सभी विद्यालयों में शौचालय का निर्माण कराया है। करीब 800 गरीब परिवारों को शौचालय बनवाए हैं। एक राशन की दुकान बनवाई है। एक शमशान घाट नगला कारे में बनवाया है। मनकैंडा में दो शमशान घाटों के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। ओडीएस से अनेकों कार्य कराए हैं।
जमीनी हकीकत बनाम सरकारी दावे…………
गांव की टूटी सड़कें, जल भराव, तालाबों की बदहाली, श्मशान घाट की दूरी और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है।
इन सब की तस्वीरें पंचायत के विकास कार्यों के दावों पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती हैं।
45 वर्षों से एक ही परिवार के हाथों में रही प्रधानी अब ग्रामीणों के बीच असंतोष का कारण बन गई है।
गांव की असल हालात और सरकारी रिपोर्ट के बीच कितना फर्क है।
गांव मनकैडा की जमीनी तस्वीर इसे साफ बयां कर रही है।





