प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई दिल्ली में भारत मंडपम में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। दिल्ली के भारत मंडपम में वीर बाल दिवस समारोह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का प्रतीक है।PM मोदी ने कहा आज देश वीर साहिबजादों के अमर बलिदान को याद कर रहा है और उनसे प्रेरणा ले रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई दिल्ली में भारत मंडपम में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। दिल्ली के भारत मंडपम में ‘वीर बाल दिवस’ समारोह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “…’वीर बाल दिवस’ भारतीयता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का प्रतीक है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज देश वीर साहिबजादों के अमर बलिदान को याद कर रहा है और उनसे प्रेरणा ले रहा है। आजादी के अमृतकाल में वीर बाल दिवस के रूप में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है। पिछले वर्ष 26 दिसंबर को देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों के वीर कथाओं को सुना था। वीर बाल दिवस भारतीयता रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती ।”
साल 2022 में आज के दिन पहली बार मना था ‘वीर बाल दिवस’
पीएम ने कहा, “पिछले साल देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था। तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था। वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती।”
आज देश वीर साहिबजादों के अमर बलिदान को याद कर रहा है, उनसे प्रेरणा ले रहा है। आजादी के अमृतकाल में ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है।
‘वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया जानेगी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा, “मुझे खुशी है कि वीर बाल दिवस अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाने लगा है। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, UAE और ग्रीस में भी वीर बाल दिवस से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया और ज्यादा जानेगी…।”
सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह के दोनों छोटे बेटों साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की वीरता और अमर बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। आज मंगलवार (26 दिसंबर) को ‘वीर बाल दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ है।
आजादी के अमृतकाल में वीर बाल दिवस के रूप में एक नया अध्याय प्रारंभ :
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वीर बाल दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए और कार्यक्रम को संबोधित किया। PM मोदी ने कहा- आज देश वीर साहिबजादों के अमर बलिदान को याद कर रहा है, उनसे प्रेरणा ले रहा है। आजादी के अमृतकाल में ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ है। पिछले वर्ष देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था। तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था। वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती।
‘वीर बाल दिवस’ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाने लगा है। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, UAE और ग्रीस में भी वीर बाल दिवस से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के वीर साहिबजादों को पूरी दुनिया और ज्यादा जानेगी, उनके महान करतूतों से सीखेगी। गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श आज भी भारत के लोगों के दिलों में प्रेरणा और ऊर्जा का संचार करते हैं। तो, वीर बाल दिवस उन सच्चे नायकों और उन्हें जन्म देने वाली महान माताओं की बेजोड़ बहादुरी के लिए राष्ट्र की श्रद्धांजलि है!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जब तक हमने अपनी विरासत का सम्मान नहीं किया, दुनिया ने भी हमारी विरासत को भाव नहीं दिया। आज जब हम अपनी विरासत पर गर्व कर रहे हैं, तो दुनिया का भी नजरिया बदला है।
मुझे खुशी है कि आज का भारत ‘गुलामी की मानसिकता’ से बाहर निकल रहा है। आज के भारत को अपने लोगों पर, अपने सामर्थ्य पर, अपनी प्रेरणाओं पर पूरा पूरा भरोसा है। आज के भारत के लिए साहिबजादों का बलिदान राष्ट्रीय प्रेरणा का विषय है। आज के भारत में भगवान बिरसा मुंडा का बलिदान, गोविंद गुरु का बलिदान पूरे राष्ट्र को प्रेरणा देता है।
हमें इस मिट्टी की आन-बान-शान के लिए जीना है, हमें देश को बेहतर बनाने के लिए जीना है। हमें इस महान राष्ट्र की संतान के रूप में, देश को विकसित बनाने के लिए जीना है, जुटना है, जूझना है और विजयी होकर निकलना है।
आज, भारत दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक है। भारत अपने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी इतना युवा नहीं था। भारत के युवाओं की इसी शक्ति ने आजादी दिलाई, आज के युवाओं की शक्ति भारत को कितनी ऊंचाइयों तक ले जा सकती है, ये कल्पना से परे है।
आज, भारत के इस “शहद के मौसम” में, कई कारक भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक आशाजनक अध्याय जोड़ते हैं। भारत में इस समय दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है। ये कल्पना से परे है कि युवाओं की ये विशाल शक्ति इस देश को इतनी ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।
अगले 25 वर्ष हमारे युवाओं के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करेंगे। भारत के युवा चाहे किसी भी क्षेत्र या समुदाय से आते हों, उनके सपने असीमित हैं। इन सपनों को साकार करने के लिए सरकार के पास स्पष्ट रोडमैप है, स्पष्ट दृष्टि है, स्पष्ट नीति है और उसकी नियत में कोई खोट नहीं है।
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का मतलब है बेहतर स्वास्थ्य सेवा, बेहतर शिक्षा, अधिक सड़कें और अधिक रोजगार के अवसर। इसका मतलब जीवन की गुणवत्ता और उत्पादों की गुणवत्ता भी है। 2047 में विकसित भारत कैसा दिखेगा? हमारे युवाओं को इस बड़े कैनवास पर भारत की तस्वीर उकेरने के लिए आगे आना चाहिए।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी मौजूद रहीं. आज प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में हम सभी न केवल अपने और अपनों के लिए, बल्कि देश के संपूर्ण विकास के लिए इस संकल्प को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। “30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, एक नई शिक्षा नीति बनाई गई है, जो मातृभाषा पर केंद्रित है और मातृभूमि को समर्पित है, जिसका उद्देश्य हमारे देश के लड़कों और लड़कियों के सपनों को साकार करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए. भारत का राष्ट्र”