MEA: विदेश मंत्री के रूस दौरे हुए ये अहम समझौते, जानिए क्यों अहम है कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा प्लांट

विदेश विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि विदेश सचिव ने रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। रूस के उपप्रधानमंत्री, उद्योग एवं व्यापार मंत्री और रूस के विदेश मंत्री के साथ भी बैठक हुई और अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.

भारतीय विदेश मंत्री डी.एस. जयशंकर की रूस यात्रा ख़त्म हो गई है. 25 से 29 दिसंबर तक चली यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि विदेश मंत्री की रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देशों के बीच विदेश मंत्रालयों में परामर्श के एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए।

विदेश विभाग ने सूचना जारी की


विदेश विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि विदेश सचिव ने रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। रूस के उपप्रधानमंत्री, उद्योग एवं व्यापार मंत्री और रूस के विदेश मंत्री के साथ भी बैठक हुई और अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इन बैठकों में व्यापार और आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ ऊर्जा, रक्षा, संचार और लोगों से लोगों के संबंधों को मजबूत करने पर द्विपक्षीय सहयोग में सुधार पर चर्चा हुई।

भारत और यूरेशियन आर्थिक क्षेत्र के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए दोनों देश सहमत हैं और दोनों देश जनवरी 2024 के अंत में इस दिशा में बातचीत शुरू कर सकते हैं। रूस में विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व राजनीति में बड़े बदलावों के बावजूद भारत और रूस के संबंध स्थिर बने हुए हैं और भू-राजनीति और रणनीतिक वजहों से दोनों देशों के संबंध हमेशा सकारात्मक बने रहेंगे।

क्यों अहम है कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र


बता दें कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस की तकनीकी मदद से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है। इसका निर्माण साल 2002 में शुरू हुआ था और साल 2016 से इसकी एक हजार मेगावाट क्षमता वाली बिजली ईकाई काम कर रही है। साल 2027 तक इस संयंत्र के पूरी क्षमता से काम शुरू करने की उम्मीद है। कुडनकुलम देश का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। भारत की एनपीसीआईएल और रूस की रोसाटॉम द्वारा मिलकर बनाए जा रहे इस परमाणु संयंत्र के पहले चरण की लागत करीब 140 अरब रुपये है। वहीं पूरे निर्माण की कुल लागत 16 अरब डॉलर है।

कुडनकुलम परमाणु संयंत्र से उत्पादित बिजली का 50 फीसदी हिस्सा यानी 925 मेगावाट तमिलनाडु को मिलेगा। वहीं कर्नाटक को 442 मेगावाट और केरल को 266 मेगावाट और पुडुचेरी को 67 मेगावाट बिजली मिलेगी। इस पावर प्लांट से उत्पादित 15 प्रतिशत बिजली को आवंटित नहीं किया जाएगा और इसे केंद्रीय पूल से जोड़ा जाएगा।

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