‘वो मुझे मेरी याद दिलाते…’ Yuvraj Singh हुए भारत के इस युवा बैटर के मुरीद; बताया टीम इंडिया का नया फिनिशर

रिंकू सिंह इन दिनों अपनी तूफानी बैटिंग को लेकर जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। हर तरफ रिंकू की आतिशी बल्लेबाजी के चर्चे हो रहे हैं। रिंकू की बल्लेबाजी के फैन खुद युवराज सिंह भी हो गए हैं। युवी ने बाएं हाथ के बैटर की जमकर तारीफ की है। युवराज के अनुसार रिंकू उन्हें अपनी याद दिलाता हैं और वह इस समय सबसे बेहतरीन बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं।


स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारत की टीम में एक युवा बल्लेबाज ने अपने प्रदर्शन से सनसनी फैला रखी है। टी-20 इंटरनेशनल में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने के साथ-साथ इस बैटर के पास दबाव में रन बनाने का हुनर भी मौजूद है। क्रिकेट के तमाम दिग्गज खिलाड़ी बाएं हाथ के बैटर की जमकर तारीफों के पुल बांध रहे हैं।


हम बात आईपीएल में लगातार पांच छक्के लगाकर लाइमलाइट में आए रिंकू सिंह (Rinku Singh) की कर रहे हैं। भारत के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह (Yuvraj Singh) भी रिंकू की विस्फोटक बैटिंग के फैन हो गए हैं। युवी का कहना है कि रिंकू की बैटिंग उन्हें अपनी याद दिलाती है। एक युवा बैटर और खासतौर पर बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए इससे बड़ा कॉम्पिलिमेंट शायद ही कुछ और होगा।

युवी ने बांधे रिंकू की तारीफों के पुल


युवराज सिंह ने एक खेल प्लेटफॉर्म पर बात करते हुए रिंकू सिंह की बल्लेबाजी की जमकर तारीफ। उन्होंने कहा, “वो मौजूदा भारतीय टीम में इस समय सबसे बेहतरीन बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। वो मुझे मेरी याद दिलाते हैं। वह जानते हैं कि कब अटैक करना है, कब स्ट्राइक रोटेट करना है और वह दबाव में काफी चतुराई से खेलने का हुनर भी जानते हैं। वह हमको मैचों में जीत दिला सकते हैं।”


पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह ने शनिवार को संकेत दिया कि वह भारतीय क्रिकेट टीम को आने वाली चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार करने के लिए भविष्य में ‘मेंटोर’ की भूमिका निभाना पसंद करेंगे। भारत पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2023 वनडे विश्वकप फाइनल में हार गया जिससे आईसीसी ट्रॉफी का उसका इंतजार और बढ़ गया। भारत ने 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तान में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी जबकि पिछली विश्वकप जीत 2011 में मिली थी।

युवराज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने काफी फाइनल खेले, लेकिन एक भी नहीं जीता। 2017 में मैं एक फाइनल का हिस्सा रहा जिसमें हम पाकिस्तान से हार गए थे। आगामी वर्षों में हमें निश्चित रूप से इस पर काम करना होगा। बतौर देश और भारतीय टीम के तौर पर दबाव में बेहतर प्रदर्शन करना होगा। मुझे लगता है कि युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करना, उन्हें सिखाना कि दबाव कैसे झेलते हुए अपना खेल दिखाएं। यह चुनौती रही है। हमारे पास मैच होते हैं और खिलाड़ी जो दबाव में बल्लेबाजी कर सकें लेकिन पूरी टीम को ऐसा करना चाहिए, एक या दो खिलाड़ियों को नहीं। मैं मार्गदर्शन करना पसंद करूंगा।

आगामी वर्षों में जब मेरे बच्चे बड़े हो जाएंगे, मैं क्रिकेट को वापस देना चाहूंगा और युवाओं को बेहतर होने में मदद करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि हम बड़े टूर्नामेंट में काफी मानसिक चुनौतियों का सामना करते हैं। मेरा मानना है कि मानसिक पहलू में मैं भविष्य में इन खिलाड़ियों के साथ काम कर सकता हूं। मुझे लगता है कि मैं इसमें योगदान दे सकता हूं, विशेषकर मध्यक्रम में।’

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