Ram Mandir: पहली बार यहां हुई रावण और श्रीराम की एक साथ पूजा, लंकापति के मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख स्थित शिव मंदिर में वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

रावण की जन्मस्थली कहे जाने वाले बिसरख के प्राचीन शिव मंदिर में पहली बार भगवान श्रीराम परिवार के साथ विराजमान हो गए।

अब तक इस शिवमंदिर में शिवलिंग ही था और इसे लोग रावण मंदिर के नाम से जानते थे। इस दौरान गांव का माहौल पूरी तय राममय था और बच्चों, महिलाओं व लोगों की जुबान पर राम नाम रहा। वहीं, कुछ साल पहले ही शिव मंदिर के पास ही रावण मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। जिसमें रावण की प्रतिमा स्थापना की गई है।

मंदिर परिसर में सुबह से ही जय श्रीराम के जयकारों की गूंज के बीच भक्तों ने राममूर्ति स्थापना से पहले गांव के सभी गलियारों से शोभायात्रा निकाली गई। डीजे बज रहे भजनों पर युवा और महिलाएं भी थिरकने से रोक न सकीं। बच्चों, महिलाओं व युवाओं ने हाथों में भगवा झंडा लिए जय श्री राम के जयघोष से वातावरण को राममय बना दिया।

लोगों ने छतों से राम समर्थकों की भीड़ पर फूलों की वर्षा की। अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना के दौरान मंदिर परिसर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्ति स्थापित की गई। राम परिवार की स्थापना के बाद प्रसाद का वितरित किया गया। इस अवसर पर आसपास की सोसायटियों से भी रामभक्त प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल हुए।


प्राचीन शिवमंदिर की दीवार पर बनी हैं रावण की प्रतिमा
बिसरख गांव में प्राचीन शिव मंदिर की बाहरी दीवारों पर सीमेंट से रावण व उनके परिवार की बड़ी प्रतिमाएं भी बनी हैं। मंदिर के अंदर प्राचीन शिवलिंग हैं जो बाहर से ही दिखाई देता है। दूर से दूर से लोग आज भी इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।
शिव मंदिर में शिव लिंग का स्वरूप नहीं मिला और खुदाई चंद्र स्वामी ने कराई थी।
ग्रामीणों के अनुसार, विश्रवा पंडितों ने शिवलिंग स्थापित करने का मामला राजनेता चंद्र स्वामी के ध्यान में लाया, जो पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ वहां पहुंचे और शिवलिंग की खुदाई की। लेकिन करीब 30 मीटर गहरी खुदाई के बाद कोई निशान नहीं मिला. उसने खुदाई करना बंद कर दिया क्योंकि वह थक गया था।


यह है मान्यता…
बिसरख गांव के लोगों का मानना है किर रावण का नाता बिसरख गांव से माना जाता है। रावण के पिता ऋषि विश्रवा की बिसरख तपोस्थली हुआ करती थी। रावण के जन्म के लिए उन्होंने इसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। रावण के जन्म के बाद वह भी यहां आकर पूजा-अर्चना करते थे।
इसलिए बोलचाल की भाषा में लोग अकसर इस मंदिर को रावण का मंदिर भी कह देते थे। मान्यता तो यह भी है कि बिसरख गांव का नाम भी रावण के पिता विश्रवा पंडित के नाम पर रखा गया था। जिस वजह से लंबे समय तक इस गांव में दशहरा नहीं मनाया गया। हालांकि ग्रामीणों ने कुछ साल पहले गांव में दशहरा मनाना भी शुरू कर दिया है।
शिव मंदिर में श्रीराम परिवार की स्थापना की गई है। इस मंदिर में जो शिवलिंग है उस पर रावण और उनसे पहले रावण के पिता विश्रवा पंडित ने भी पूजा-अर्चना की थी। -रामदाय महाराज, महंत शिवमंदिर बिसरख।

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