राहुल की नागरिकता पर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को PIL माना जाएगा, दिल्ली HC का फैसला, पप्पू गैंग के उड़े होश
अगर रद्द हुई राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता तो फिर करेंगे ये काम, पहले सी बना रखा है बी प्लान
इस वजह से आई है राहुल गांधी की भारतीय सदस्यता रद्द करने की नौबत, अब सोनिया को हो रहा अपनी एक गलती का पछतावा
राहुल गांधी के अजीबो गरीब फैसलों और बयान बाजी के चलते वो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। अभी 15 अगस्त पर लाल किले पर अयोजित समारोह में राहुल गांधी को सिक्योरिटी द्वारा पीछे बिठा दिया। जिसको लेकर देश भर में खूब चर्चा हुई। ऐसी ही एक और चर्चा ने जन्म ले लिया है। लेकिन ये चर्चा राहुल गांधी के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। इस बार राहुल गांधी के पूरे करियर पर ही बट्टा लगने की नौबत आ गई है। देश में शुरू हुई इस नई जंग में राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की मांग की जा रही है। राहुल गांधी को लेकर कहा जा रहा है कि वो भारतीय नागरिक नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की इस याचिका को लेकर कोर्ट ने जो शुरूआती फैसला दिया है उसने पप्पू गैंग के होश उड़ा दिया हैं। आज हम अपनी अपनी इस रिपोर्ट में कोर्ट के फैसले के बारे में तो बताएंगे ही लेकिन उससे पहले आप हमें बता दीजिए कि क्या आप भी चाहते हैं कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द होनी चाहिए और उन्हें इटली भेज देना चाहिए। अपनी राय हमारे कमेंट बॉक्स में हां या ना में जरूर लिखे।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता से संबंधित भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को जनहित याचिका माना जाएगा। सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार 16 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख कर गृह मंत्रालय को यह निर्देश देने की अपील की थी कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के अनुरोध संबंधी उनके अभ्यावेदन पर फैसला करे। स्वामी ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में गृह मंत्रालय को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि वह लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी के खिलाफ उनके अभ्यावेदन पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे।अधिवक्ता सत्य सभरवाल के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि छह अगस्त, 2019 को स्वामी ने मंत्रालय को एक पत्र लिखा था और ब्रिटिश सरकार के सामने राहुल गांधी के उस स्वैच्छिक खुलासे का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि वह (राहुल गांधी) ब्रिटिश नागरिक हैं और वहां का पासपोर्ट रखने के हकदार हैं। स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि कांग्रेस नेता ने भारतीय नागरिक होते हुए भी संविधान के अनुच्छेद नौ और भारतीय नागरिकता अधिनियम का उल्लंघन किया है और इस प्रकार वे भारतीय नागरिक नहीं रह जाएंगे। स्वामी ने कहा है कि उन्होंने अपनी शिकायत की स्थिति के बारे में पूछताछ के लिए मंत्रालय को कई अभ्यावेदन भेजे हैं, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई है और न ही उन्हें इसके बारे में सूचित किया गया है। लेकिन इस बार स्वामी की इस मांग को पीआईएल बनाने का फैसला कोर्ट ने दे दिया है।
बता दें कि भारत में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के पास नागरिकता अधिनियम 1955 में उल्लिखित कुछ परिस्थितियों में किसी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता को अस्वीकार या रद्द करने का अधिकार है.
यदि आवेदक नागरिकता अधिनियम में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता है, जैसे अच्छे चरित्र का नहीं होना या भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होना, तो गृह मंत्रालय नागरिकता आवेदनों को अस्वीकार कर सकता है.नागरिकता रद्द की जा सकती है यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है. राज्य के विरुद्ध कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है. धोखाधड़ी या गलत बयानी से नागरिकता प्राप्त की हो.
गृह मंत्रालय नागरिकता के लिए आवेदनों को स्वीकार करने या ना करने के लिए जिम्मेदार है. वह दस्तावेजों की पर्याप्तता, सुरक्षा रिपोर्ट और कानूनी प्रावधानों के अनुपालन के आधार पर निर्णय ले सकता है. बताया जा रहा है कि कोर्ट के फैसले के बार गृह मंत्रालय भी राहुल की नागरिकता को लेकर एक्शन ले सकता है।
ब्यूरो रिपोर्ट Tnf Today