आगरा में नशीली दवाओं के खुले कई राज: पंजाब में अधिक खपती हैं नशीली दवाएं

आगरा में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री की जांच में कई सुराग मिल रहे हैं। नकली दवा बनाने के काम में पूरा सिंडिकेट काम कर रहा था। आगरा के ही कुछ दवा व्यापारी डमी फर्मों से फर्जी बिलिंग करा दूसरे राज्यों में सप्लाई कराते थे।एल्प्राजोरम टेबलेट और प्राक्सिविन स्पाश कैप्सूल को दवा माफिया दिल्ली, अजमेर के अलावा बिजनौर, मुरादाबाद, सहारनपुर सप्लाई करते थे। नशीली दवाओं का इस्तेमाल पंजाब की पार्टियों में सूखे नशे के रूप में किया जाता है।

दवा माफिया विजय गोयल ने पूछताछ में पुलिस और एएनटीएफ के सामने कई राज खोले हैं। बताया कि नकली और नशीली दवाइयां डमी फर्मों से भेजी जाती थी। जिससे किसी को शक न हो। इन दवाओं की खपत में पंजाब पहले, दिल्ली दूसरे, हरियाणा तीसरे स्थान पर है।इसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी खपत होती है। एल्प्राजोरम टेबलेट और प्राक्सिविन स्पाश कैप्सूल की खेप दिल्ली में मनोज रस्तोगी, अजमेर में हेमंत कुमार, बिजनौर में धर्मेंद्र, सहारनपुर में विभोर विपिन बंसल और अमित, मुरादाबाद में जतिन कुमार, मुरादाबाद में जतिन कुमार को की जाती थी।

दवा माफिया विजय गोयल सहित 10 लोगों को बुधवार को जेल भेज दिया गया। एएनटीएफ के दारोगा गौरव कुमार की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमें 15 लोगों को नामजद किया है। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने दवा माफिया विजय गोयल, फैक्ट्री मैनेजर नरेंद्र शर्मा, दवाओं को बाजार में सप्लाई करने वाले अमित पाठक और काम करने वाले लेबर ठेकदार अशोक कुमार सहित 10 आरोपियों को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया था। आरोपी विशाल अग्रवाल पहले से जेल में है। पुलिस को अब भूदेव, सूरज गौर, रोहित कुशवाह, मुकेश कुमार की तलाश है।

पूछताछ में विजय गोयल ने बताया है कि एक साल पहले जगदीशपुरा से भी दवा मामले में ही जेल गया था। तभी जेल में गांजा तस्कर विशाल अग्रवाल से मुलाकात हुई थी। वहीं सारी प्लानिंग बनी थी। विशाल ने विजय गोयल के जेल से बाहर आने पर 30 लाख रुपये फतेहपुर सीकरी के भूदेव से दिलाए थे। जिस जगह किराए पर फैक्ट्री चल रही थी, उसे 30 हजार रुपये महीने के किराए पर लिया गया था। वो जगह पश्चिमपुरी के उदयवीर की बताई जा रही है। किरायानामा रामस्वरूप कालोनी, शाहगंज के सूरज गौर के नाम से बनवाया था।

फैक्ट्री से बरामद सिप्रोहैपटाडीन पाउडर से करोड़ों गोलियां बननी थीं। अब तक लाखों गोलियां तैयार हो चुकी हैं। फैक्ट्री से मिली एलप्राजोलम टैबलेट भी संदिग्ध है।इसे तैयार करने के लिए सिप्रोहैपटाडीन पाउडर का इस्तेमाल करने की आशंका जताई जा रही है। फैक्ट्री में छापेमारी में 55 किलो सिप्रोहैपटाडीन पाउडर बरामद हुआ है।

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