उत्तर प्रदेश। यूपी में एक बार फिर ट्रेन पलटाने की साजिश सामने आई है। लखनऊ के मलिहाबाद डाउन लाइन ट्रैक पर लकड़ी का बोटा रख कर ट्रेन को डिरेल करने साजिश रची गई थी। वरिष्ठ अभियंता रेलपथ की तहरीर पर मलिहाबाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद शनिवार को एटीएस की टीम भी जांच के लिए पहुंची। रेलवे और मलिहाबाद इंस्पेक्टर से एटीएस अधिकारियों ने घटना के बारे में जानकारी ली।
बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस के लोको पॉयलट ने समय रहते रेलवे ट्रैक पर रखे बोटे को देख लिया था। जिससे बड़ा हादसा टल गया। ऐसे ही कानपुर में तीन बार ट्रेन को डिरेल करने का प्रयास किया गया। वैसे ही मलिहाबाद में रेलवे ट्रैक पर भी दो फीट लंबा और छह किलो वजन का बोटा रखा गया था।रेलवे अधिकारियों ने बताया कि लोको पॉयलट ने सर्तकता बरती, लेकिन रेल ट्रैक पर बोटा रखे जाने से करीब दो घंटे तक यातायात बाधित रहा। जिससे काफी परेशानी का सामान करना पड़ा। शनिवार को एटीएस इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने भी पुलिस और रेल अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर जांच की। वहीं, पुलिस की सर्विलांस टीम ने गुरुवार रात घटनास्थल के पास सक्रिय मोबाइल नम्बरों की डिटेल भी खंगाली है।
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में पिछले एक साल ही145 किमी का नया ट्रैक बिछा है। इसके लिये कम से कम 24 नये ट्रैकमैन चाहिए। जिससे कि पेट्रोलिंग की जा सके, लेकिन आलम यह है कि यहां 1200 से ज्यादा पद खाली हैं। जिसकी वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है। इसी वजह से रेलवे ट्रैक पर बाधा उत्पन्न करने वाली चीजें लगातार मिल रहा हैं। शुक्रवार को काकोरी के पास रेलवे ट्रैक पर मिले लकड़ी के टुकड़े ने रेलवे की संरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। ऑन इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कर्मचारियों की कमी पर सवाल खड़े किये हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भर्ती हो रही है, लेकिन एक लाख और कर्मचारियों की जरूरत है। लखनऊ मंडल में कुल ट्रैक करीब 2374 किलोमीटर है। इस दौरान 1497 रोड किलोमीटर का रूट है। लखनऊ से बाराबंकी और जाफराबाद से जौनपुर तक ट्रैक के डबलिंग का काम किया गया है। पिछले एक साल में कुल 146 अगला किलोमीटर का ट्रैक बढ़ा है। कर्मचारियों के मुताबिक नाइट पेट्रोति लेख V शुरू होने वाली है, लेकिन कर्मचारियों को जरूरी सुविधा नहीं दी गई है। ट्रैक मैन रेलवे पटरियों का निरीक्षण करने का काम करते हैं।