आगरा। आगरा क्वे रकाबगंज महिला थाने में कुछ समय पहले एक केस दर्ज हुआन जिसके अनुसार वादिनी ने 20 अगस्त 2018 को एसपी को प्रार्थनापत्र दिया और आरोप लगाया कि उनकी शादी 2001 में हुई थी। शादी के कुछ दिनों के बाद पति उत्पीड़न करने लगा। इस बीच उन्होंने बेटी को जन्म दिया उत्पीड़न और बढ़ गया।जिसके बाद सन 2013 में उसने अपने पति से तलाक ले लिया। वह मायके में रहने लगीं। लेकिन उसकी 13 वर्षीय बेटी पति के पास ही रह गई। कभी-कभी बेटी उनसे मिलने आती थी। एक बार वह 3 महीने तक मिलने नहीं आई। जिसके बाद उसकी उसकी खबर पास के लोगो से जाननी चाही। तब एक पड़ोसी ने बेटी के साथ पिटाई और घर का काम कराने के बारे में जानकारी दी। पड़ोसी ने बताया कि आरोपी पति उसे खाना भी नहीं देता था। वादिनी ने पति से बेटी को अपने पास भेजने को बोला तो गाली गलौज करने लगा और उसे भेजने से मना कर दिया। उसने थाना सिकंदरा पर शिकायत की।
पुलिस ने आरोपी पति और बेटी को थाने बुलाया। बेटी को माँ के पास वापस सौंप दिया। पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। घर आकर बेटी ने उन्हें बताया कि आरोपी पिता दिन में बंधक बनाकर उससे दुष्कर्म करता। दादी भी पिता का पक्ष लेती थी, धमकी दी कि किसी से शिकायत की तो मारकर रेलवे लाइन पर फेंक देंगे। अभियोजन पक्ष की तरफ से वादनी और पीड़िता, उपनिरीक्षक इतुल चौधरी व अन्य गवाह अदालत में पेश किए गए।
जिस पर अदालत ने आदेश में सुनाया कि आरोपी ने पवित्र रिश्ते को तार-तार किया है। यह कृत्य उसकी दूषित मानसिकता को उजागर करता है।जिसके बाद आरोपी किसी भी सहानभूति का पात्र नहीं हैं। अदालत ने पिता को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।