नई दिल्ली। संभल अधिकारियों के खिलाफ पर दायर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई भी होगी। इसको लेकर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर के वकील ने अदालत से मामले की सुनवाई के लिए एक सप्ताह का समय भी मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह संभल में अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई कर सकता है। बता दें कि यह मामला इस वजह से उठाया गया था, क्योंकि बीते दिनों संभल हुई तोड़फोड़ के आरोपियों पर कार्रवाई करते हुए अधिकारियों ने संपत्तियों को ध्वस्त किया गया था। इसके विरोध में याचिकाकर्ता ने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताते हुए सर्वोच्च न्यायल का दरवाजा खटखटाया गया था।
याचिकाकर्ता ने मांगा अतरिक्त समय; मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर के वकील ने अदालत से मामले की सुनवाई के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, क्योंकि बहस करने वाले वकील को व्यक्तिगत परेशानी भी हो रही थी। कोर्ट ने वकील की बात मानी और याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले उल्लंघन का दावा; मामले में याचिकाकर्ता ने अपने वकील चांद कुरैशी के माध्यम से एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि पिछले साल 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लंघन किया गया था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि बिना किसी कारण बताओ नोटिस के किसी भी संपत्ति को न तोड़ा जाए और प्रभावित व्यक्तियों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय भी दिया जाए। साथ ही दायर याचिका में यह कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के संभल में अधिकारियों ने याचिकाकर्ता या उसके परिवार के किसी सदस्य को पूर्व सूचना दिए बिना 10-11 जनवरी को उनकी संपत्ति के एक हिस्से को बुलडोजर से तोड़ दिया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके पास संपत्ति से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज, स्वीकृत नक्शे और अन्य संबंधित कागजात थे, लेकिन फिर भी अधिकारियों ने उनकी संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था यह आदेश; गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2024 के फैसले में यह स्पष्ट किया गया था कि सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़क, गली, फुटपाथ और रेलवे लाइन या जल निकायों पर अनधिकृत संरचनाओं के ध्वस्तीकरण के लिए कोई आदेश नहीं होगा, जब तक कि अदालत द्वारा ऐसा आदेश नहीं दिया जाएगा ।