कई राज्यों समेत फिर करवट लेगा मौसम; बारिश के साथ लौटेगी ठंड

नई दिल्ली। अगले चार दिनों 24 से 27 जनवरी 2025 के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम साफ और सुहावना रहने की संभावना भी बताई है। पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य और ऊपरी हिस्सों को छोड़कर अन्य जगहों पर कड़ाके की ठंड भी रहेगी।

राजधानी दिल्ली-एनसीआर,उत्तर भारत समेत कई राज्यों में मौसम का मिजाज धीरे-धीरे बदलता भी नजर आ रहा है। जनवरी में कड़ाके की ठंड ने चमचमाती धूप ने लोगों को थोड़ी राहत दी है। कई राज्यों में बीते दो दिनों से धूप की गर्माहट ने सर्द हवाओं और गलन को भी कम कर दिया है। हालांकि, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में घने कोहरे ने लोगों को बहुत परेशानी में डाला हुआ है। इसके बावजूद भी धूप के चलते ठंड से लोगों को राहत मिल रही है। लेकिन आने वाले कुछ ही दिनों में मौसम एक बार फिर करवट लेने जा रहा है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हल्की बारिश के साथ ठंड का दौर एक बार फिर शुरू होने वाला है। हालांकि अगले चार दिनों 24 से 27 जनवरी 2025 के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम साफ और सुहावना रहने की संभावना बताई जा रही है। पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य और ऊपरी हिस्सों को छोड़कर अन्य जगहों पर कड़ाके की ठंड भी रहेगी, लेकिन ताजा बर्फबारी नहीं होगी। बाकी स्थानों पर सर्दियों के खुशनुमा दिन भी रहेंगे। खासकर राजस्थान और उत्तरी मैदानों में सर्दी के दौरान आरामदायक मौसम का आनंद भी लिया जा सकेगा। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का यह कहना है कि, जनवरी का आखिरी सप्ताह देश के लिए कड़ाके की सर्दी वाला होता है। देश का उत्तरी भाग अक्सर पश्चिमी विक्षोभ और उससे जुड़ी प्रणालियों से ही प्रभावित रहते हैं। हालांकि, इस समय क्षेत्र में कोई भी सक्रिय प्रणाली मौजूद नहीं है। पिछले सप्ताह के मध्य में हल्की बारिश लाने वाला विक्षोभ अब क्षेत्र से ही निकल चुका है। इसके पीछे का ठंडा प्रभाव पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में न्यूनतम तापमान को एक अंक में ही बनाए हुए है। हल्के से मध्यम कोहरे और सामान्य ठंड के अलावा इस दौरान कोई दूसरी मौसम गतिविधि होने की उम्मीद भी नहीं है।

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (जलवायु और मौसम विज्ञान) ने कहा कि अगले एक दो दिन में मौसम परिवर्तन देखने को फिर मिलेगा। एक पश्चिमी विक्षोभ एक बार फिर सक्रिय होने की उम्मीद बताई जा रही है। ऐसे में 29 जनवरी से एक या दो फरवरी तक दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में हल्की बारिश होने का अनुमान भी बताया जा रहा है। इस दौरान पहाड़ों पर भी बर्फबारी हो सकती है। ऐसे में एक बार फिर मौसम में बदलाव भी आएगा और ठंड बढ़ भी सकती है। इसका असर मध्य भारत के राज्यों में भी दिखाई दे सकता है। अभी 10 फरवरी तक ठंड बने रहने का भी अनुमान है।

पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय; वहीं, मौसम विभाग का यह कहना है कि, जल्द ही एक पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय भी होने वाला है, जो 29-30 जनवरी के बीच उत्तर के पहाड़ी इलाके में भी पहुंच सकता है। इसके असर से जनवरी के आखिरी में उत्तर भारत के कई राज्यों में मौसम फिर से करवट लेगा, जो फरवरी के पहले हफ्ते तक जारी रह सकता है, लेकिन इसके पहले मौसम में कोई खास बदलाव नहीं देखने को नहीं मिलेगा। मतलब गणतंत्र दिवस पर भी मैदानी इलाकों का मौसम शुष्क ही बना रह सकता है। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली और यूपी समेत कई राज्यों में अगले कुछ दिनों में बारिश होने की संभावना है। इस दौरान पश्चिमी यूपी में कहीं-कहीं धुंध और छिछला कोहरा और पूर्वी यूपी में कहीं-कहीं छिछला से मध्यम कोहरा छाने की भी संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान में लगभग 2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना है और उसके बाद के 4 दिनों के दौरान कोई महत्वपूर्ण बदलाव भी नहीं होगा। वहीं, अगले 3 दिनों के दौरान मध्य भारत में न्यूनतम तापमान में लगभग 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना है और उसके बाद के 2 दिनों के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। जबकि पूर्वी भारत में न्यूनतम तापमान में लगभग 3-5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की ही संभावना है। देश के बाकी हिस्सों में न्यूनतम तापमान में लगभग 3-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना बताई जा रही है।

मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी दिल्ली में बीते कुछ दिनों से ठंड से मिली राहत का दौर अब जल्द ही खत्म होने वाला है। यहां पारा लुढ़कने से ठंड का असर भी तेज होगा। वहीं, हिमाचल प्रदेश में दिन के समय शीतलहर चलने की भी चेतावनी जारी की है। वहीं, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बंगाल और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों के हिस्सों में घना कोहरा भी छाया रह सकता है। पिछले सप्ताह उत्तर भारत में लगातार पश्चिमी विक्षोभ गतिविधियों के कारण गंगा के मैदानी इलाकों में बड़े पैमाने पर घना कोहरा और निम्न बादल छाए रहने की स्थिति में काफी कमी आई और यह मुख्य रूप से हफ्ते के दौरान हिमालय की तलहटी में भी रहा।

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