- ट्रांसजेंडर समुदाय की छवि खराब करने का प्रयास, ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड ने दर्ज कराई शिकायत
- ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सलाहकार एवं सदस्य देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी ने लिया मामले का संज्ञान
लखनऊ। आरक्षण का लाभ लेने का भूत एक व्यक्ति पर इस कदर हावी हो गया कि उसने फर्जी तरीके से एससी का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ट्रांसजेंडर समुदाय को ओबीसी वर्ग का दर्जा दिया गया है। मामले में ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सलाहकार एवं सदस्य देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी ने संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज कराई है।बता दें कि सहारनपुर निवासी याशिका उर्फ आशीष कुमार, पिता मांगीराम, निवासी नंद वाटिका कॉलोनी, गालिरा रोड सहारनपुर ने नियमों का उल्लंघन करते हुए धोखाधड़ी के माध्यम से दो प्रमाण पत्र बनवाए हैं। इनमें से एक अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र है और दूसरा जिलाधिकारी द्वारा जारी ट्रांसजेंडर पहचान पत्र है। जबकि ट्रांसजेंडर को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ओबीसी कैटेगरी में शुमार किया गया है। ऐसे में एक ही व्यक्ति द्वारा दो तरीके से आरक्षण का लाभ लेने का अनैतिक कार्य किया जा रहा है।
मामले को लेकर देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी ने कहा है कि एन ए एल एस ए बनाम भारत सरकार 2014 के ऐतिहासिक निर्णय के अनुसार ट्रांसजेंडर समुदाय को केवल विशेष पिछड़ा वर्ग (एस ई बी सी) के तहत रखा गया है। ट्रांसजेंडर समुदाय को जातिगत आरक्षण नहीं दिया जाता, बल्कि केवल ओबीसी श्रेणी का आरक्षण प्रदान किया जाता है। याशिका ने गलत तरीके से फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनवाया है, जो कि कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।उन्होंने आगे कहा कि इससे न केवल सरकारी व्यवस्था को नुकसान हो रहा है, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय की छवि भी प्रभावित हो रही है।देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा है कि याशिका द्वारा जारी किए गए दोनों प्रमाण पत्रों की गहन जांच की जाए।गलत तरीके से बनाए गए जाति प्रमाण पत्र को तत्काल निरस्त किया जाए। इस मामले में शामिल संबंधित अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।