नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को एक बार फिर बजट से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी की चर्चा कर सरकार को घेरा। सदन में बजट पर चर्चा के दौरान बोलते हुए राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा फिर उठाया और कहा कि इस बार भी बजट से पहले हलवा सेरेमनी हुई, पर हलवा किसे खिलाया गया यह दिखाया नहीं गया।
दरअसल, सदन में बजट पर चर्चा के दौरान बोलते हुए राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा फिर उठाया और कहा कि इस बार भी बजट से पहले हलवा सेरेमनी हुई, पर हलवा किसे खिलाया गया यह दिखाया नहीं गया। उन्होंने तेलंगाना में कांग्रेस सरकार की ओर से कराए गए जातिगत जनगणना की बात करते हुए कहा कि सर्वे में ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे हुए।
राहुल गांधी पूर्व में भी सदन में पिछले साल की हलवा सेरेमनी की तस्वीर दिखाकर सरकार पर पिछड़े वर्ग के लोगों को पूरा मौका नहीं दिए जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि परंपरागत रूप से होने वाले हलवा समारोह में पिछड़े वर्ग के अधिकारी नजर नहीं आए। राहुल गांधी ने सोमवार को सदन में फिर से हलवा समारोह की चर्चा करते हुए कहा कि इस बार भी हलवा समारोह का आयोजन किया गया लेकिन हलवा किसे खिलाया, यह दिखाया नहीं गया।
एआई तकनीक पर बोले राहुल गांधी- डेटा के बिना ए आई अर्थहीन
राहुल गांधी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर बोलते हुए कहा कि लोग एआई के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि एआई अपने आप में बिल्कुल अर्थहीन है, क्योंकि एआई के लिए डेटा अहम है। डेटा के बिना एआई का कोई मतलब नहीं है। अगर हम आज डेटा को देखें, तो एक बात बहुत स्पष्ट है- दुनिया में उत्पादन प्रणाली से निकलने वाला हर एक डेटा। जिस डेटा का उपयोग फोन को बनाने के लिए किया गया, जिस डेटा का उपयोग इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए किया गया, जिस डेटा का उपयोग आज ग्रह पर मूल रूप से सभी इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए किया जाता है, उसका स्वामित्व चीन के पास है। खपत डेटा का स्वामित्व संयुक्त राज्य अमेरिका के पास है। इस क्षेत्र में चीन भारत से कम से कम 10 साल आगे है। चीन पिछले 10 सालों से बैटरी, रोबोट, मोटर, ऑप्टिक्स पर काम कर रहा है और हम पीछे हैं।
बात को आगे बढ़ाते हुए राहिल गाँधी बोले कि प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा। मुझे लगता है कि यह एक अच्छी पहल थी। परिणाम आपके सामने है। विनिर्माण 2014 में सकल घरेलू उत्पाद के 15.3% से गिरकर आज सकल घरेलू उत्पाद के 12.6% पर आ गया है। जो 60 वर्षों के विनिर्माण में सबसे कम है। मैं प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे रहा हूं। पर यह कहना उचित नहीं होगा कि उन्होंने प्रयास नहीं किया। मैं कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री ने प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे।