आगरा। ताजमहल की धरती इन दिनों सुरक्षा, अनुशासन और त्वरित कार्रवाई का ऐसा नया अध्याय लिख रही है, जिसने पूरे प्रदेश में आगरा पुलिस का नाम मजबूत किया है। पुलिस कमिश्नरेट की कमान संभालने के बाद पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने जिस फुर्ती, पारदर्शिता और सख्ती के साथ व्यवस्था को संभाला है, उसने आगरा पुलिसिंग को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। मिशन शक्ति, क्राइम कंट्रोल, महिला सुरक्षा, ट्रैफिक सुधार और फील्ड प्रजेंस—हर मोर्चे पर पुलिस ने ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसने जनता का भरोसा बढ़ाया और अपराधियों के लिए शहर को ‘रेड जोन’ बना दिया है।
कमिश्नर की ऑन-द-स्पॉट एक्शन नीति अब पूरे सिस्टम की पहचान बन चुकी है। किसी भी लापरवाही पर तुरंत सस्पेंशन, लाइन हाजिरी या विभागीय जांच,
इस सख्ती ने थानों से लेकर चौकियों तक अनुशासन की नई परिभाषा तय की है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो-टॉलरेंस नीति का प्रभाव भी साफ दिखता है। कानून-व्यवस्था पर उनकी कठोर निगरानी ने पुलिस को पहले से कहीं अधिक जवाबदेह बनाया है।
डीसीपी सिटी और डीसीपी वेस्ट अपनी-अपनी टीमों के साथ फील्ड में लगातार सक्रिय हैं। संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी, अपराध नियंत्रण और भीड़भाड़ वाले इलाकों में व्यवस्था, दोनों डीसीपी ने आगरा को सुरक्षित मॉडल शहर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एसीपी स्तर के अधिकारी भी अपने सर्किल क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ दिन-रात फील्ड में मौजूद रहते हैं। विवाद समाधान से लेकर रात्रि गश्त तक, एसीपी की उपस्थिति ने अपराधियों में खौफ और आम जनता में विश्वास जगाया है।
थानों में इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी निभाने की गति तेज हुई है। चौकियों पर तैनात चौकी प्रभारी शिकायत मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंच रहे हैं, जिससे आम नागरिकों का विश्वास और मजबूत हुआ है। महिला सुरक्षा में आगरा पुलिस ने नई ऊंचाई तय की है। पिंक पेट्रोलिंग, महिला बीट और मिशन शक्ति की टीमों ने महिलाओं और बालिकाओं को निडर माहौल प्रदान किया है।
यही नहीं, शहर का क्राइम ब्रांच यूनिट चोरी, लूट, ठगी, साइबर फ्रॉड और गैंग अपराधों पर बड़ी कार्रवाइयाँ करते हुए लगातार ‘नो सेफ ज़ोन फॉर क्रिमिनल्स’ का संदेश दे रही है।
ट्रैफिक व्यवस्था में भी खास सुधार देखने को मिला है। डीसीपी ट्रैफिक सोनम कुमार की टीम ने ब्लैक स्पॉट पर सख्त कार्रवाई, हेलमेट जागरूकता, चालान और पैट्रोलिंग की मदद से सड़कों को ज्यादा सुरक्षित बनाया है।
रात की बढ़ी हुई पेट्रोलिंग और बीट चेकिंग ने असामाजिक तत्वों की सक्रियता पर पूरी तरह रोक लगाई है। पुलिस कंट्रोल रूम और सोशल मीडिया सेल 24×7 जनता की शिकायतें सुन रहे हैं और उसी समय समाधान भी कर रहे हैं।
सबसे बड़ा बदलाव—पब्लिक–पुलिस संबंधों में आया सुधार है
पहले जहां लोग पुलिस के पास जाने से घबराते थे, वहीं आज महिलाएँ, बुजुर्ग और आम नागरिक बिना डर अपनी शिकायत लेकर थानों में आ रहे हैं। बहु–बेटियाँ रात में भी कॉल करके तुरंत मदद पा रही हैं। महिलाओं का थाने में जाकर अपनी समस्या बताना—यह आगरा पुलिस की नई संवेदनशीलता का उदाहरण है।
यही असली तरक्की है, जब जनता को पुलिस दुश्मन नहीं, बल्कि मित्र नज़र आए। जब लोग अपने हक की लड़ाई पुलिस के साथ खड़े होकर लड़ें और जब पुलिस जनता को सुरक्षा, सम्मान और विश्वास के साथ साथ लेकर चले।
आज आगरा की जनता एक आवाज में कह रही है—
“आगरा पुलिस—सुरक्षा, सेवा और विश्वास का नया चेहरा।”





