आगरा में बढ़ी मुठभेड़ों की संख्या, एक महीने में 25 अपराधी गिरफ्तार, एक की मौत — उठे फर्जी एनकाउंटर के सवाल

आगरा में हाल ही में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है। बीते एक महीने में पुलिस ने 20 अलग-अलग मुठभेड़ों को अंजाम दिया है, जिनमें कुल 25 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और एक की इलाज के दौरान मौत हो गई। इनमें से अधिकतर मुठभेड़ों में पुलिस की गोली अपराधियों के पैरों पर लगी, जिससे कई घायल हो गए। यह आंकड़ा साफ़ दिखाता है कि पुलिस एक आक्रामक नीति अपनाकर अपराध पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इन मुठभेड़ों को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।

एक मामले में एक बदमाश ने कोर्ट में यह दावा किया कि उसके साथ की गई मुठभेड़ फर्जी थी। उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझकर उसे गोली मारी और मामले को मुठभेड़ का रूप दिया। इस पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दे दिए हैं। यह घटना पूरे पुलिस सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप कुमार शर्मा का कहना है कि कई बार पुलिस मुठभेड़ों का सहारा इसलिए भी लेती है ताकि आरोपी को आसानी से जमानत न मिल सके। उनका कहना है कि जब कोई आरोपी पुलिस पर हमला करता है तो अदालत यह मान लेती है कि वह समाज के लिए भी गंभीर खतरा है, और इस आधार पर उसकी ज़मानत रद्द हो जाती है। इस रणनीति से पुलिस को अपराधियों को जेल में बनाए रखने में मदद मिलती है।

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