आरआई को अब एमवीआई के मिलेंगे अधिकार

अनफिट वाहनों की जांच में तकनीकी दक्षता का होगा इजाफा

यूपी में सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब संभागीय निरीक्षकों (आरआई) को मोटर वीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) के रूप में पदोन्नत किया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद, तकनीकी रूप से दक्ष आरआई वाहनों की जांच कर सकेंगे और प्रवर्तन संबंधी अधिकार भी प्राप्त करेंगे।

यूपी में बढ़ते सड़क हादसे चिंता का कारण बन चुके हैं। इन्हें रोकने के लिए लंबे समय से संभागीय निरीक्षकों (आरआई) को मोटर वीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) बनाए जाने की मांग चल रही थी। कैबिनेट से मंगलवार को अप्रूवल मिलने के बाद अब तकनीकी रूप से दक्ष आरआई भी एमवीआई बनकर वाहनों की जांच कर सकेंगे। इन्हें प्रवर्तन संबंधी अधिकार भी दिए जाएंगे।

प्रमुख सचिव की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि यूपी को छोड़कर कई राज्यों में एमवीआई हैं। इनमें राजस्थान में भी है, जहां इनकी तैनाती से काफी असर पड़ा है। आंकड़े भी अवैध व डग्गामार वाहनों पर नकेल की पुष्टि करते हैं।

वाहनों की संख्या करोड़ में है। साथ ही एएमवीआई, आरआई, आरटीओ के अलावा अन्य अफसर भी कुल अधिकारियों की संख्या में शामिल हैं। दुर्घटनाएं व मौतें 2022 की हैं।

सड़क हादसों की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी अफसरों को सड़क पर उतारने का मुद्दा एनबीटी ने प्रमुखता से उठाया था। इतना ही नहीं अनफिट और डग्गामार वाहनों के संचालन का खुलासा किया था। पड़ताल में सामने आया कि प्रवर्तन टीमें लगातार फील्ड में एक्टिव होने के बावजूद रोक नहीं लग पा रही है। दरअसल तकनीकी रूप से दक्ष नहीं होने के कारण अनफिट वाहनों को चिह्नित करने में दिक्कत आती है।

सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए परिवहन कार्यालयों के साथ-साथ ऑन रोड वाहनों की फिटनेस जांच, रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र, डाइविंग लाइसेंस, प्रदूषण प्रमाण पत्र, ड्रंकेन एवं ड्राइव टेस्टिंग आदि की चेकिंग का अधिकार आरआई को दिया जा चुका है। यूपी में आरआई (प्राविधिक) के 124 पद हैं। हालांकि वर्तमान में 66 पदों पर ही तैनाती हैं। अब इन्हें एमवीआई के तौर पर जाना जाएगा। इसके साथ ही आगे भर्ती भी इसी पदनाम पर होगी।

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