अब याशिका के फर्जीवाड़े का होगा पर्दाफाश! NHRC ने सहारनपुर जिलाधिकारी को दिया नोटिस

सहारनपुर। आशीष कुमार उर्फ याशिका, जिसने जाति और ट्रांसजेंडर आधारित प्रमाणपत्रों का दोहरा फायदा उठाकर सरकारी योजनाओं को लूटा, अब उसके कारनामों का भंडाफोड़ होने वाला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए सहारनपुर प्रशासन को नोटिस जारी कर 8 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।

ये है याशिका का पूरा गेम?

  • दोहरी पहचान, दोहरा फायदा: याशिका ने एक ओर तो खुद को ट्रांसजेंडर साबित कर OBC आरक्षण का लाभ लिया, वहीं दूसरी ओर SC प्रमाणपत्र का इस्तेमाल कर शिक्षा, नौकरी और सरकारी सुविधाओं को हड़पा।

NALSA जजमेंट का दुरुपयोग:

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति OBC श्रेणी में आरक्षण के हकदार हैं, न कि SC/ST में, लेकिन याशिका ने इस नियम को ताक पर रख दिया।

जनता का पैसा, याशिका की जेब:

याशिका ने NET-JRF, स्कॉलरशिप, सरकारी नौकरियों और आवास योजनाओं में दोनों श्रेणियों का फायदा उठाकर लाखों का घोटाला किया।

NHRC ने कसा शिकंजा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देविका देवेंद्र मंगलामुखी की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सहारनपुर के जिलाधिकारी को नोटिस भेजकर याशिका के सभी दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया है। आयोग ने मांगा है:

  1. याशिका के SC और ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्रों की जांच।
  2. अगर धोखाधड़ी साबित हुई, तो उसके द्वारा ली गई सभी सरकारी सुविधाएं वापस ली जाएं।
  3. उत्तर प्रदेश सरकार NALSA जजमेंट को तुरंत लागू करे।

देविका ने उठाई आवाज, अब मिलेगा इंसाफ

उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सदस्य देविका देवेंद्र मंगलामुखी ने लंबे समय से याशिका के खिलाफ संघर्ष किया, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब NHRC के हस्तक्षेप के बाद याशिका के काले कारनामों का सच सामने आने वाला है। सहारनपुर प्रशासन को 8 हफ्तों में जांच रिपोर्ट NHRC को सौंपनी होगी। अगर याशिका का फर्जीवाड़ा साबित हुआ, तो उसके खिलाफ धारा 420 (ठगी), 406 (विश्वासघात) और SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज हो सकता है। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश सरकार को ट्रांसजेंडर आरक्षण की स्पष्ट नीति बनानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की करतूत नहीं, बल्कि सिस्टम में छिपी खामियों को उजागर करता है। अब देखना है कि क्या याशिका को उसके किए की सजा मिलती है या फिर वह फिर से कानून को चकमा देने में कामयाब हो जाती है।बता दें कि भारत के कई राज्यों ने ट्रांसजेंडंर समुदाय को ओबीसी कैटिगरी में डाला है। और सुप्रीम कोर्ट के नलसा जजमेंट वर्सेज गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 2014 के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय को आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा मनानते हुए उन्हें ओबीसी केटेगरी में रखा है।

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