Belgium former PM Yveus Leterme बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री यवेस लेटरमे ने भारत को यूएनएससी में स्थायी रूप से शामिल करने की वकालत की है। लेटरमे ने तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप ढलने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है जो 20वीं सदी में स्थापित संरचनाओं से परे हो।
tnf today,agra। बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री यवेस लेटरमे ने यूएनएससी में भारत को स्थायी रूप से शामिल करने की पुरजोर वकालत की है। लेटरमे ने कहा कि इस तरह के कदम से परिषद की साख और बढ़ेगी।
UNSC को 21वीं सदी के अनुरूप ढलने की आवश्यकता
लेटरमे ने तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप ढलने की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है जो 20वीं सदी में स्थापित संरचनाओं से परे हो।
भारत का कद बढ़ा
लेटरमे ने इसी के साथ पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी ने भारत के भू-राजनीतिक कद को ऊंचा करने का काम किया है और भारत ने उनके नेतृत्व में कई अधिकार पाए हैं।
चीन को टक्कर दे रहा भारत
पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, लेटरमे ने नई कनेक्टिविटी पहल, भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह चीन के बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का पूरक बनने की क्षमता रखता है।
बेल्जियम के पूर्व प्रधानमंत्री यवेस लेटर्मे ने यूएनएससी में भारत को स्थायी रूप से शामिल करने की पुरजोर वकालत की है। लेटरमे ने कहा कि इस तरह के कदम से परिषद की विश्वसनीयता और बढ़ेगी।
‘UNSC को 21वीं सदी के अनुरूप ढलने की जरूरत’
लेटरमे ने तर्क दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप ढलने की जरूरत है, क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है जो 20वीं सदी में स्थापित संरचनाओं से परे हो।
भारत का कद बढ़ा
इसके साथ ही लेटरमे ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी ने भारत के भूराजनीतिक कद को बढ़ाने का काम किया है और उनके नेतृत्व में भारत को कई अधिकार हासिल हुए हैं.
‘भारत चीन को टक्कर दे रहा’
पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, लेटरमे ने नई कनेक्टिविटी पहल, भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसमें चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का पूरक बनने की क्षमता है।
कई देशों द्वारा यूएनएससी में सुधार की वकालत के बीच, ग्रीस ने वैश्विक निकाय में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बड़ा बयान दिया है। भारत में ग्रीस के राजदूत दिमित्रियोस इओन्नौ ने कहा है कि यूएनएससी में भारत की स्थायी सीट को लेकर पहले क्षण से ही ग्रीस समर्थन करता रहा है। हम आगे भी इसका समर्थन करेंगे। यह बहुत जरूरी है कि सबसे अधिक आबादी वाला देश सुरक्षा परिषद का हिस्सा बने। भारत अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक कारक है। इस दौरान उन्होंने इस्राइल और हमास के बीच संघर्ष में हमास की आलोचना करते हुए कहा कि इसका विघटन होना जरूरी है।
पीएम मोदी के हालिया दौरे का भी जिक्र
इस दौरान उन्होंने भारत और ग्रीस संबंधों पर भी बात की। दिमित्रियोस इओन्नौ ने कहा कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से संबंध हैं। पीएम मोदी की हालिया ग्रीस यात्रा का जिक्र कर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की ग्रीस यात्रा के बाद भारत और ग्रीस के संबंध बहुत आशाजनक चरण में पहुंच गए हैं। आने वाले वर्षों में इसमें और विकास होगा।
ग्रीस और भारत के बीच समुद्री सहयोग पर भारत में ग्रीस के राजदूत दिमित्रियोस इओन्नौ ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ग्रीस के पास दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री बेड़ा है। इस समय अगर दुनिया भर में कहीं कोई भारतीय उत्पाद उसके अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है तो पांच में से कम से कम एक बार ऐसा होता है जब उसे ग्रीक जहाज द्वारा ले जाया जाता है। वहीं, भारत में भी विदेश से आने वाले सामान को भी कम से कम 1.5 बार इसे ग्रीक बेड़े द्वारा ले जाया गया हो। इस तरह हम कह सकते हैं कि ग्रीस, आर्थिक गलियारे के निर्माण और उसके पूरा होने की प्रतीक्षा किए बिना भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और उसकी वृद्धि में योगदान दिया। हम यह आने वाले सालों में भी ऐसा करना जारी रखेगें।
इस्राइल-हमास संघर्ष पर भी प्रतिक्रिया
भारत में ग्रीस के राजदूत दिमित्रियोस इओन्नौ ने इस दौरान इस्राइल-हमास संघर्ष पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ग्रीस हमास और उसके द्वारा किए गए अपराधों की पूर्ण रूप से निंदा करता है। ग्रीस हमास को एक आतंकवादी संगठन मानता है। आतंकी संगठन हमास के विघटन के बिना मध्य पूर्व में संघर्ष का समाधान नहीं हो सकता है। इस संघर्ष का समाधान राजनीतिक बातचीत के माध्यम से आगे बढ़ाया और लागू किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी ने की थी ग्रीस की यात्रा
बता दें कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्ते हैं। बीते अगस्त माह में पीएम मोदी ने ग्रीस का दौरा किया था। उनकी यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह 40 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। उनसे पहले भारत से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सितंबर 1983 में ग्रीस का दौरा किया था। पीएम मोदी के दौरे के दौरान व्यापार और निवेश, शिपिंग, आव्रजन, संस्कृति और रक्षा सहयोग सहित कई मुद्दों पर अहम समझौते हुए थे।
इतिहास से ऐसे जुड़ते हैं दोनों देश
भारत और ग्रीस के बीच सम्पर्क ऐतिहासिक भी है। विदेश मंत्रालय का एक दस्तावेज बताता है कि ग्रीस के साथ भारत का संपर्क 2500 साल पहले शुरू हुआ था। मौर्य राजाओं और ग्रीस के बीच व्यापार का प्रमाण सिक्कों और लेखों से मिलता है। 326 ईसा पूर्व में सिकंदर द ग्रेट ने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर हाइफैसिस (ब्यास नदी) तक आक्रमण किया। झेलम और चिनाब के बीच पौरवा के राजा पुरु और तक्षशिला पर शासन करने वाले आम्भी के साथ युद्ध किया। सिकंदर भारत में प्रवेश नहीं कर सका और दक्षिण की ओर मुड़कर बेबीलोन वापस चला गया। सिकंदर के समकालीन मौर्य राजवंश, चंद्रगुप्त और बाद में उनके पोते अशोक के अधीन पश्चिम में पंजाब और अफगानिस्तान तक फैलने वाला सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य बन गया। चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में मेगस्थनीज नामक राजा के दरबार में यवन राजदूत के बारे में उल्लेख किया है।
दस्तावेज के अनुसार, गांधार कला को भारतीय और यूनानी प्रभावों का मिश्रण माना जाता है। ग्रीस ने 2021 में ग्रीक स्वतंत्रता संग्राम (1821-2021) की द्विशताब्दी मनाई जो ओटोमन शासन के खिलाफ ग्रीक क्रांति थी। इसी क्रांति के कारण अंततः आधुनिक ग्रीक राष्ट्र की स्थापना हुई थी।
आजादी के बाद ऐसे विकसित हुए रिश्ते
मई 1950 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए। ग्रीस ने 1950 में दिल्ली में और भारत ने 1978 में एथेंस में अपना दूतावास खोला। पिछले सात दशकों में यह संबंध सुचारू रूप से आगे बढ़ा है। ग्रीस ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर 1985 के छह-राष्ट्र दिल्ली घोषणा में भाग लिया।
मई 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद, जब अधिकांश पश्चिमी देश भारत के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार कर रहे थे, ग्रीक रक्षा मंत्री ने दिसंबर 1998 में भारत का दौरा किया। वे परीक्षणों के बाद भारत का दौरा करने वाले नाटो देश के पहले रक्षा मंत्री थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर 2019 को यूएनजीए कार्यक्रम के मौके पर अपने ग्रीक समकक्ष क्यारीकोस मित्सोताकिस से मुलाकात की थी। तब दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट संबंधों की पुष्टि की और कहा कि वे सबसे पुराने और सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
व्यापारिक संबंधों को मिल रही मजबूती
पिछले कुछ वर्षों में भारत-ग्रीस के आर्थिक रिश्ते और मजबूत हुए हैं। भारत से ग्रीस को कई वस्तुएं निर्यात की जाती हैं जिनमें खनिज, जैविक रसायन, प्लास्टिक, फल, सूखे मेवे, सब्जी मसाले, कॉफी, चाय, विद्युत मशीनरी और उपकरण और हिस्से आदि शामिल हैं।
2020-21 के दौरान दोनों देशों के बीच 615.72 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। इसके पहले, 2019-20 में यह 569.24 मिलियन डॉलर, 2018-19 में 647.39 मिलियन डॉलर, 2017-18 में 529.98 मिलियन डॉलर, 2016-17 में 507.72 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था।