आगरा में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भ्रष्टाचार का ‘खेल’ चल रहा है। यहां 600 से अधिक निजी अस्पताल हर माह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर का ब्योरा नहीं देते हैं।
Maternal and infant mortality rates are being mixed up in private hospitals in Agra
उत्तर प्रदेश के आगरा में निजी अस्पतालों में आशाओं के भ्रष्टाचार का ‘खेल’ चल रहा है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में घालमेल हो रहा है। चार-पांच हजार रुपये के लालच में एक तरफ आशा कार्यकत्रियां गर्भवतियों के निजी अस्पतालों में प्रसव करा रही हैं। जच्चा और बच्चा की मौत का स्वास्थ्य विभाग के पास कोई रिकॉर्ड तक नहीं होता।
ट्रांस यमुना स्थित रॉयल सुपर स्पेशिलियटी हॉस्पिटल में आशाओं को उपहार बांटे जाते थे। पर्दाफाश होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल का रिकॉर्ड जब्त किया है। जहां 11 आशाओं की सूची मिली है। दूसरी तरफ जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में निजी अस्पतालों में हो रही शिशु व मातृ मृत्यु का ब्योरा नहीं मिलने पर डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने नाराजगी जताई। डीएम की नाराजगी के बाद भी किसी अस्पताल ने शिशु एवं मातृ मृत्यु दर का ब्योरा नहीं दिया। ऐसे में निजी अस्पतालों में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर के मामलों में घालमेल की आशंका है।
शहर में 600 से अधिक निजी अस्पताल हैं। हर माह करीब पांच हजार से अधिक प्रसव होते हैं। निजी अस्पतालों में प्रसव खर्च 10 से 15 हजार रुपये वसूला जाता है। जिसमें आशाओं का कमीशन भी शामिल है। उधर, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव निशुल्क है। जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवतियों को प्रोत्साहन राशि मिलती है। प्रसव सरकारी केंद्र्रों पर हो इसके लिए आशाओं को जिम्मेदारी दी गई है। जिसका दुरुपयोग हो रहा है।
एमओआईसी की मिलीभगत
आशा सबसे छोट़ी कड़ी है। मानदेय व देयकों का भुगतान नहीं होता। मुद्दे से ध्यान भटकने को आशाओं को बदनाम किया जा रहा है। एमओआईसी निजी अस्पतालों में सूची उपलब्ध कराते हैं। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार है। – पप्पी धनगर, जिलाध्यक्ष, आशा/आशा संगिनी कर्मचारी संगठन, उप्र
चल रही है मामले की जांच
निजी अस्पताल में आशाओं को उपहार बांटे गए। सूची मिली है। सूची के आधार पर सत्यापन कराया जा रहा है। कमीशन के लालच में प्रसव कराने की आशंका है। जांच चल रही है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. अरुण श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी