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आगरा का ‘स्वाद’ बन रहा ‘ज़हर’! समोसा, मोमो से हो रहा लिवर खराब; डॉक्टर्स की चेतावनी

Published On: November 21, 2025
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आगरा। शहर की सड़कों, बाजारों और नुक्कड़ों पर मिलने वाले समोसे, कचौड़ी, मोमो और रंग-बिरंगी चटनी का स्वाद जितना लोगों को आकर्षित करता है, उतना ही यह स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बनता जा रहा है। तैलीय, मसालेदार और मिलावटयुक्त इन खाद्य पदार्थों को पचने में सामान्य भोजन की तुलना में कई गुना अधिक समय लगता है। डॉक्टरों का कहना है कि डीप फ्राई आइटम—जैसे समोसा और कचौड़ी—को पचने में औसतन 8 से 10 घंटे तक लग जाते हैं, जबकि मैदे से तैयार मोमो और नूडल्स 6 से 8 घंटे तक पेट में भारीपन बनाए रखते हैं।

खाने की गुणवत्ता को लेकर चिंताएँ तब और बढ़ जाती हैं, जब इन व्यंजनों के साथ परोसी जाने वाली चटनियों में मिलावट सामने आती है। कई दुकानदार आकर्षक रंग के लिए चटनी में कृत्रिम टेक्सटाइल कलर का इस्तेमाल करते हैं, जो शरीर में टॉक्सिन बढ़ाने का बड़ा कारण है। वहीं कई जगहों पर चटनी में सड़े-गले टमाटर और खराब सब्जियों के इस्तेमाल की शिकायतें भी मिली हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मिश्रणों से पेट का संक्रमण, फूड पॉइजनिंग, एसिडिटी, अल्सर और गैस्ट्रो-एंटेराइटिस जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि यह सिर्फ पेट की समस्या पर नहीं रुकता। लगातार तला-भुना और रंगों से भरा भोजन शरीर में जमा होकर लिवर पर सीधा असर डालता है। दूषित तेल में बार-बार तलने से बनने वाला ट्रांस फैट लिवर की कार्यक्षमता को कमजोर कर देता है। यही कारण है कि शहर में युवा उम्र में ही फैटी लिवर, लिवर इंफ्लेमेशन और पाचन संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, ये फूड आइटम शरीर को तुरंत ऊर्जा तो देते हैं, लेकिन लंबे समय में लिवर और हार्मोनल सिस्टम पर बड़ा खतरा बन जाते हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहर में कई स्ट्रीट फूड विक्रेता बिना किसी मानक के खाना तैयार कर रहे हैं। गंदे तेल, बिना ढंकी सामग्री और अस्वास्थ्यकर किचन न सिर्फ बीमारियाँ फैला रहे हैं, बल्कि बच्चों की सेहत के लिए दोहरा खतरा हैं। विभाग ने लोगों से अपील की है कि तली-भुनी चीजों का सेवन सीमित करें और चटनी का रंग देखकर उसके असली या नकली होने का अंदाजा लगाने की आदत विकसित करें।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्वाद के लिए स्ट्रीट फूड कभी-कभार लिया जा सकता है, लेकिन इसे रोजमर्रा का खाना बनाना शरीर के लिए हानिकारक है। घर का ताज़ा, कम तेल वाला भोजन ही सुरक्षित विकल्प है।

शहर का स्वाद जरूर लुभाता है, लेकिन लापरवाही से खाया गया यही स्वाद आपकी सेहत को सालों तक नुकसान पहुँचा सकता है।

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