अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की उड़ान में हुए भयानक हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री रमेश विश्वास ने अपनी दिल दहला देने वाली आपबीती साझा की है। 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक रमेश, जो विमान की सीट 11A पर बैठे थे, ने बताया कि कैसे वे इस त्रासदी से चमत्कारिक रूप से बच निकले। उनकी कहानी न केवल हौसले की मिसाल है, बल्कि उस भयावह पल की तस्वीर भी पेश करती है, जब विमान हादसे का शिकार हुआ।
हादसे का खौफनाक मंजर
रमेश ने बताया, “सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ। टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद, करीब 5-10 सेकंड के लिए ऐसा लगा जैसे विमान कहीं फंस गया हो। अचानक हरी और सफेद लाइटें जलीं, और विमान की रफ्तार तेजी से बढ़ गई। इसके बाद वह एक इमारत से जा टकराया।”
हादसे के बाद जब रमेश की आंख खुली, तो चारों तरफ लाशें बिखरी थीं। उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि मैं भी नहीं बचूंगा। मेरी नजरों के सामने एयर होस्टेस और कई अन्य यात्री खत्म हो गए। मैंने किसी तरह सीट बेल्ट खोली और बाहर निकलने की कोशिश की।”
कैसे बचे रमेश?
रमेश ने बताया कि जिस तरफ वे बैठे थे, वहां विमान जमीन की ओर गिरा था, और वहां टूटे दरवाजे से थोड़ी जगह बन गई थी। “मैं उस जगह से बाहर निकल सका। लेकिन विमान के दूसरी तरफ बैठे लोग इमारत की दीवार की चपेट में आ गए, शायद इसलिए वे नहीं बच सके।” हादसे के बाद विमान में भीषण आग लग गई, जिसमें रमेश का एक हाथ भी जल गया। वे पैदल चलकर कुछ दूर गए, जहां उन्हें एक एंबुलेंस मिली और वे अस्पताल पहुंचे।
पीएम मोदी और गृह मंत्री से मुलाकात
हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में रमेश से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। रमेश ने पीएम को हादसे की पूरी कहानी सुनाई। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी रमेश से मुलाकात की थी और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। दोनों नेताओं ने इस त्रासदी पर गहरा दुख जताया।
हादसे की भयावहता
यह हादसा गुरुवार दोपहर 1:38 बजे हुआ, जब एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान, उड़ान संख्या AI-171, अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ा था। विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें भारतीय, ब्रिटिश, पुर्तगाली, और कनाडाई नागरिक शामिल थे। विमान के मेघाणीनगर में क्रैश होने से 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। इसके अलावा, घटनास्थल पर मौजूद कुछ अन्य लोगों को मिलाकर कुल 266 लोगों की जान गई।
रमेश विश्वास की कहानी इस त्रासदी में एक चमत्कार की तरह है, जो यह दर्शाती है कि विपत्ति के बीच भी जीवन की उम्मीद बनी रहती है।