विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया है कि शराब और मिठाई युक्त पेय पदार्थ के सेवन के कारण पूरी दुनिया में एक करोड़ लोगों की मौत होती है। यह कम करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने सरकारों से आग्रह किया है कि इन पदार्थों पर अधिक टैक्स लागू किए जाएं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि कई देश नागरिकों के स्वास्थ्य सुधारने के लिए करों का उपयोग कर रहे हैं।
WHO ने दुनिया को अपील की है कि शराब और चीनी के मीठे पेय पदार्थों पर टैक्स बढ़ाने की जरूरत है। WHO ने इस मामले पर मंगलवार को एक बयान जारी किया है। बयान में बताया गया है कि ऐसे उत्पादों पर, जो स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते हैं, दुनिया भर में औसत टैक्स कम है। इसलिए, गर्मजोशी से कहा जा रहा है कि टैक्स बढ़ाने से लोगों का स्वास्थ्य सुधर सकता है। WHO ने स्पष्ट किया है कि चीनी के मीठे पेय पदार्थों और मादक पेय पदार्थों पर उत्पाद शुल्क लागू होना चाहिए।
हर साल होती 26 लाख लोगों की मौत शराब के नशे से
“विश्व स्वास्थ्य संगठन () के मुताबिक हर साल दुनियांभर में 26 लाख लोगों की हुए मौत शराब शराब बताई गयी वजह । 80 लाख से ज्यादा लोग उन्हें सेहत खराब करने वाले भोजन और पेय पदार्थों के सेवन से मृत घोषित होते हैं। इन मौतों में कमी लाने के लिए शराब और मिठाईयों पर टैक्स को बढ़ाने का प्रस्ताव है। ऐसा करने से न केवल इन उत्पादों की मात्रा में कटौती होगी, बल्कि कंपनियों को सेहत के लिए अच्छे उत्पादों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा।”
सोडा पर लगता था टोटल से 6. 6 प्रतिशत टैक्स
WHO ने अभिप्रेत लिखा है कि कुछ टैक्स वाले देशों में 108 देश शराब और मीठे पेय पदार्थों पर संभवतः लगातार कई प्रकार के टैक्स लागू करते हैं। सोडा में उत्पाद शुल्क की सामान्यतः 6.6 प्रतिशत कीमत होती है, जो कि वैश्विक औसत कहलाती है। ये लागभग आधे देश पानी पर भी टैक्स लागू करते हैं। WHO के हेल्थ प्रमोशन डायरेक्टर रुडिगर क्रेच ने आवाज दी है कि “खराब उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैक्स से आबादी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। इसकी प्रभावित होसकने से समाज पर एक सकारात्मक असर पड़ता है। यह बीमारी और कमजोरी को भी ग्रहण करने में मदद करता है। शराब पर टैक्स लगाने से उसकी सेवन में कटौती हो सकती है, जो हिंसा और सड़क हादसों की संख्या कम करने में सहायता प्रदान करता है।”
WHO ने शराब टैक्स नीति के लिए जारी किया मैनुअल
मंगलवार को WHO ने 194 सदस्य देशों के लिए एक शराब टैक्स और प्रशासन पर मैनुअल जारी किया है। यह जारी किए गए मैनुअल में यह कहा गया है कि न्यूनतम मूल्य तय करके शराब की खपत को कम किया जा सकता है, जो टैक्स लगाने के साथ ही होता है। इससे शराब के सेवन से मृत्यु, हादसे और अपराधों में कमी हो सकती है। जो लोग समय-समय पर भारी मात्रा में शराब पीते हैं, वे सबसे कम कीमत वाली शराब पीते हैं।
दिन में अधिक बार हाथ धोने से हो सकती है त्याचा ख़राब
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रायः 148 देशों ने शराब पर राष्ट्रीय उत्पाद शुल्क लगाने की नीति अपनाई है। शराब को कम से कम 22 देशों में उत्पाद शुल्क मुआफ़ कर दिया गया है। ये देशों में से अधिकांश यूरोपीय क्षेत्र में स्थित हैं। अत्यधिक बिकने वाले बीयर ब्रांड की औसत कीमत में उत्पाद शुल्क का हिस्सा 17.2 प्रतिशत होता है, वहीं सबसे अधिक बिकने वाले स्प्रित्स ब्रांड के लिए यह 26.5 प्रतिशत होता है।