सीजेआई चंद्रचूर ने अपने आखिरी फैसलों में से एक में बुलडोजर ऐक्शन पर बड़ी बात कही। एक मामले में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कानून के शासन के तहत बुलडोजर न्याय बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो आर्टिकल-300 ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 6 नवंबर को ही पारित किया था, लेकिन इसका पूरा जजमेंट शनिवार यानि 9 नवम्बर को अपलोड किया गया। यूपी में एक पत्रकार के घर को साल 2019 में तोड़े जाने के मामले को लेकर कोर्ट ने फैसला दिया है।
लाइव लॉ’ के अनुसार, शनिवार को अपलोड किए गए पूरे फैसले में सीजेआई चंद्रचूड़ ने लिखा, “बुलडोजर के जरिए से न्याय किसी भी सभ्य व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। इस बात का गंभीर खतरा है कि अगर राज्य के किसी भी अधिकारी द्वारा मनमानी और गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो जनता की संपत्तियों को प्रतिशोध के चलते ध्वस्त कर दिया जाएगा। नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्तियों और घरों को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता। एक इंसान के पास जो अंतिम सुरक्षा होती है, वह उसका घर है। कानून निस्संदेह सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को उचित नहीं ठहराता है।” सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने पाया कि उन घर को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गिराया गया था। कोर्ट ने यूपी सरकार पर याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने के निर्देश भी दिये है। साथ ही घर गिराने के पीछे जिम्मेदार अफसरों पर भी ऐक्शन लिए जाने के लिए कोर्ट ने बोला है।
