मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आखिरी कार्य दिवस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में विदाई समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान CJI ने अपने परिवार, माता-पिता, निजी जिंदगी के साथ ही करियर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें शेयर कीं और अपने अनुभव भी सुनाए. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘हम जज के रूप में जटिल विषयों पर निर्णय देते हैं, लेकिन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे फैसलों का आम नागरिकों की जिंदगी पर क्या असर होता है|
शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने अंतिम कार्यदिवस पर न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके कंधे आलोचनाओं को स्वीकारने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में, उन्होंने हंसते हुए कहा, “शायद मैं सबसे ज्यादा ट्रोल होने वाला व्यक्ति हूं. लेकिन मुझे यह चिंता है कि सोमवार से क्या होगा? जो लोग मुझे ट्रोल करते थे, वो बेरोजगार हो जाएंगे. मैंने अपने व्यक्तिगत जीवन को सार्वजनिक ज्ञान के सामने उजागर किया है और जब आप ऐसा करते हैं, तो आप खुद को आलोचनाओं के लिए खोल देते हैं, खासकर आज के सोशल मीडिया युग में. लेकिन मेरे कंधे हर तरह की आलोचना को स्वीकारने के लिए मजबूत हैं.”
अपने कार्यकाल के इस आखिरी दिन, उन्होंने अपनी न्यायिक यात्रा के लिए कृतज्ञता और विनम्रता के साथ भावनात्मक संबोधन दिया. अपने सहकर्मियों और कानूनी समुदाय से घिरे चंद्रचूड़ ने अपनी व्यक्तिगत अनुभवों और प्रशंसा को साझा किया. उन्होंने उन लोगों से माफी भी मांगी, जिन्हें अनजाने में उनकी किसी बात से ठेस पहुंची हो|उन्होंने कहा, “कल शाम, जब मेरे रजिस्ट्रार न्यायिक ने मुझसे पूछा कि समारोह का समय कब रखा जाए, तो मुझे बताया गया कि इसे दोपहर 2 बजे रखा जा सकता है ताकि कई मामलों का निपटारा किया जा सके. मैंने सोचा, क्या इस अदालत में शुक्रवार दोपहर 2 बजे कोई होगा,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा. “या फिर मैं खुद को स्क्रीन पर देखूंगा?”
उन्होंने अपने उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में भी कहा, “मेरे जाने के बाद भी इस अदालत में कोई फर्क नहीं आएगा क्योंकि जस्टिस खन्ना जैसा स्थिर और गरिमामय व्यक्ति इस पद को संभालेगा|उनके अंतिम कार्यदिवस पर, वरिष्ठ अधिवक्ताओं न्यायपालिका के सदस्यों ने भारत के न्यायिक क्षेत्र उनके गहरे प्रभाव के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी| उनके साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने भी समारोहिक पीठ में स्थान लिया| डी. वाई. चंद्रचूड़ को उनके कानूनी ज्ञान के साथ-साथ न्याय के प्रति उनके मानवीय दृश्टिकोण के लिए भी सराहा गया|