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चिराग पासवान की रणनीति: क्या नीतीश के खिलाफ फिर साधा निशाना

Published On: July 15, 2025
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बिहार की सियासत में नया मोड़. बीजेपी के इशारे पर पासवान का मास्टरस्ट्रोक

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के ताजा बयानों ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को हवा दी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ “मोदी जी से बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं” का नारा देकर सुर्खियां बटोरने वाले चिराग क्या फिर उसी रणनीति पर लौट आए हैं? सूत्रों की मानें तो चिराग की यह रणनीति भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इशारे पर हो सकती है, जिससे बिहार की सियासत में नया समीकरण बनता दिख रहा है.

2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था. उन्होंने जेडीयू के कई उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे, जिससे नीतीश की पार्टी को नुकसान हुआ. हालांकि, चिराग की पार्टी को उस समय ज्यादा सीटें नहीं मिलीं, लेकिन नीतीश की सीटों की संख्या जरूर घटी. अब 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चिराग के तेवर फिर से तल्ख दिख रहे हैं. उनके हालिया बयानों में नीतीश कुमार की सरकार पर निशाना साधा गया है, जिसमें बिहार में विकास और कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए गए हैं

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान का यह रुख बीजेपी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. बीजेपी और जेडीयू भले ही एनडीए गठबंधन में साथ हैं, लेकिन बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है. चिराग की नीतीश विरोधी छवि का इस्तेमाल बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी चिराग को नीतीश के खिलाफ एक मजबूत चेहरा बनाकर जेडीयू की सियासी ताकत को सीमित करने की कोशिश कर सकती है.

नीतीश कुमार की सरकार पहले ही विपक्षी दलों के निशाने पर है. अब चिराग पासवान का तीखा रुख नीतीश के लिए नई चुनौती बन सकता है. चिराग ने हाल ही में बिहार में बेरोजगारी और बाढ़ जैसे मुद्दों पर नीतीश सरकार को घेरा है. उनकी यह रणनीति न केवल जेडीयू को कमजोर करने की कोशिश है, बल्कि बिहार के युवा वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की भी है.

चिराग पासवान की इस रणनीति का असर 2025 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. अगर चिराग फिर से नीतीश के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हैं, तो एनडीए के भीतर तनाव बढ़ सकता है. बीजेपी के लिए यह रणनीति जोखिम भरी भी हो सकती है, क्योंकि नीतीश के बिना बिहार में सरकार बनाना आसान नहीं होगा. दूसरी ओर, चिराग की इस रणनीति से उनकी अपनी पार्टी को कितना फायदा होगा, यह भी देखने वाली बात होगी.

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