पीड़िताओं ने सुनाई आपबीती और पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
लखनऊ में अवैध धर्मांतरण के मामले में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के प्रभाव में आकर धर्म परिवर्तन करने वाली कई महिलाओं ने सनातन धर्म में वापसी की है। लेकिन अब उन्हें छांगुर के सहयोगियों से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इन पीड़िताओं ने राजधानी लखनऊ में पत्रकारों के सामने अपनी पीड़ा साझा की। विश्व हिंदू रक्षा परिषद के कार्यालय में आयोजित इस प्रेस वार्ता में संगठन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय भी मौजूद थे। पीड़िताओं ने आरोप लगाया कि सनातन धर्म में लौटने के बाद उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने पुलिस पर शिकायत न दर्ज करने का गंभीर आरोप लगाया।
छांगुर के नेटवर्क का खुलासा और धमकियां
गोपाल राय ने प्रेस वार्ता में सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि छांगुर उर्फ जमालुद्दीन के जिहादी और आतंकी नेटवर्क से जुड़े लोग इन धमकियों के पीछे हैं। विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने पिछले सप्ताह कई पीड़िताओं की सनातन धर्म में वापसी करवाई थी। जिसके बाद छांगुर के सहयोगी बौखला गए हैं। राय ने बताया कि छांगुर के नेटवर्क का पर्दाफाश करने के बाद उत्तर प्रदेश एटीएस ने उसे अवैध धर्मांतरण और जिहादी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई से नाराज उसके सहयोगी अब उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो सनातन धर्म में लौटे हैं। राय ने यह भी खुलासा किया कि उनके खिलाफ पहले भी दो बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। एक वाराणसी में मुख्तार अंसारी के गुर्गों द्वारा और दूसरा जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक आतंकियों द्वारा। इसके बावजूद उनकी सुरक्षा हटा ली गई है। जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा है।
पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
पीड़िताओं और गोपाल राय ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। राय ने बताया कि धमकियों की शिकायत लेकर वे गोमती नगर थाने गए। लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब एक राष्ट्रवादी संगठन के प्रमुख को खुलेआम धमकियां मिल रही हैं और पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या भरोसा। राय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा है। ताकि इस मामले को उनके सामने रख सकें। उन्होंने मांग की कि प्रशासन उनकी और पीड़िताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे। राय ने चेतावनी दी कि यदि उन्हें या उनके सहयोगियों को कोई नुकसान हुआ। तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस मामले ने लखनऊ में अवैध धर्मांतरण और धमकियों के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। जिससे प्रशासन पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।