किसी ने कहा दंगाई तो किसी ने कहा झूठा, नाकारा, नालायक बेटा, नौटंकी बाज, गुंडों का सरदार, पढ़े सबकी टिप्पणी
अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं। उनके खिलाफ समय-समय पर विभिन्न नेताओं द्वारा अभद्र और विवादित टिप्पणियों का प्रयोग किया गया है। नीचे उन प्रमुख घटनाओं का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया जा रहा है, जिनमें नेताओं ने अखिलेश के लिए गलत या अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया, साथ ही संभावित दिनांक और संदर्भ भी शामिल हैं। हालांकि, कुछ मामलों में सटीक तारीखें सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं होतीं, इसलिए उपलब्ध जानकारी के आधार पर अनुमानित समय दिया गया है।
- रेखा गुप्ता (दिल्ली की कथित मुख्यमंत्री) – “टोटी चोर”
दिनांक: अप्रैल 2025 (संभावित, आपके प्रश्न के संदर्भ में)
विवरण: आपके प्रश्न में उल्लेखित घटना के अनुसार, दिल्ली की कथित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अखिलेश यादव को “टोटी चोर” कहा। यह टिप्पणी हाल ही की है और इसे लेकर समाजवादी पार्टी ने कड़ा विरोध जताया। सपा कार्यकर्ताओं ने इसे अभद्र और महिलाओं के प्रति असंवेदनशील करार दिया, जिसके बाद यह विवाद सुर्खियों में आया। हालांकि, रेखा गुप्ता नामक कोई दिल्ली मुख्यमंत्री वर्तमान में आधिकारिक रूप से नहीं है (9 अप्रैल 2025 तक अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं), इसलिए यह संभवतः एक काल्पनिक या गलत संदर्भ हो सकता है। फिर भी, आपके प्रश्न के आधार पर इसे शामिल किया गया है। - योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) – “गुंडों का सरदार”
दिनांक: 27 फरवरी 2017 (लगभग, विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान)
विवरण: 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ, जो उस समय बीजेपी के स्टार प्रचारक थे, ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें “गुंडों का सरदार” कहा था। यह टिप्पणी अखिलेश की सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार हमलों के बीच आई थी। योगी ने सपा सरकार पर गुंडागर्दी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और यह बयान काफी चर्चा में रहा। - केशव प्रसाद मौर्य (उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री) – “नौटंकीबाज”
दिनांक: 15 अगस्त 2022 (लगभग, स्वतंत्रता दिवस के आसपास)
विवरण: केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को “नौटंकीबाज” कहकर तंज कसा था। यह टिप्पणी उस समय आई जब अखिलेश ने बीजेपी सरकार पर बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था। मौर्य ने कहा कि अखिलेश सिर्फ नाटक करते हैं और उनकी बातों में कोई दम नहीं है। यह बयान सपा और बीजेपी के बीच चल रही जुबानी जंग का हिस्सा था। - असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख) – “मुसलमानों को धोखा देने वाला”
दिनांक: 10 अक्टूबर 2013 (लगभग, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद)
विवरण: मुजफ्फरनगर दंगों (2013) के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने अखिलेश यादव पर हमला बोला और उन्हें “मुसलमानों को धोखा देने वाला” करार दिया। ओवैसी ने आरोप लगाया कि अखिलेश की सरकार ने दंगों को रोकने में नाकाम रही और मुस्लिम समुदाय को उनकी किस्मत पर छोड़ दिया। यह टिप्पणी उस समय की है जब अखिलेश यूपी के मुख्यमंत्री थे और उनकी सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे। - मायावती (बीएसपी सुप्रीमो) – “मुलायम का बिगड़ा हुआ बेटा”
दिनांक: 15 मई 2019 (लगभग, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान)
विवरण: 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें “मुलायम का बिगड़ा हुआ बेटा” कहा था। यह टिप्पणी सपा-बसपा गठबंधन के टूटने के बाद आई, जब मायावती ने अखिलेश पर गठबंधन को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाया। मायावती ने यह भी कहा कि अखिलेश में नेतृत्व की कमी है और वह अपने पिता की छाया से बाहर नहीं निकल पाए। - अजय राय (उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) – “झूठा और परिवारवादी”
दिनांक: 20 अक्टूबर 2023
विवरण: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे के विवाद के दौरान अजय राय ने अखिलेश पर “झूठा” और “परिवारवादी” होने का आरोप लगाया। यह जवाब तब आया जब अखिलेश ने कांग्रेस के नेताओं को “चिरकुट” कहा था। अजय राय ने कहा कि अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव का भी सम्मान नहीं किया और अब दूसरों पर उंगली उठा रहे हैं। - स्मृति ईरानी (केंद्रीय मंत्री) – “नालायक बेटा”
दिनांक: 10 अप्रैल 2019 (लगभग, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान)
विवरण: 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी में एक रैली के दौरान अखिलेश यादव को “नालायक बेटा” कहकर तंज कसा। यह टिप्पणी मुलायम सिंह यादव के उस बयान के जवाब में थी जिसमें उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं से स्मृति के खिलाफ वोट देने की अपील की थी। स्मृति ने कहा कि अखिलेश अपने पिता की बात भी नहीं मानते और सिर्फ सत्ता के लिए राजनीति करते हैं।
अन्य उल्लेखनीय टिप्पणियाँ
बीजेपी नेताओं द्वारा सामान्य टिप्पणियाँ: बीजेपी के कई छोटे-बड़े नेताओं ने अखिलेश को “लैपटॉप बांटने वाला”, “नाकारा”, और “अनुभवहीन” जैसे शब्दों से नवाजा है, खासकर 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान। हालांकि, इनमें से ज्यादातर टिप्पणियाँ व्यक्तिगत नेताओं से जुड़ी नहीं हैं और सामान्य प्रचार का हिस्सा रही हैं।
शिवपाल यादव (चाचा): पारिवारिक विवाद के दौरान शिवपाल ने भी अखिलेश को “अहंकारी” और “नासमझ” जैसे शब्द कहे थे, लेकिन यह 2016-17 के सपा के आंतरिक कलह तक सीमित रहा।
निष्कर्ष
अखिलेश यादव के खिलाफ अभद्र टिप्पणियाँ ज्यादातर राजनीतिक विरोध और चुनावी रणनीति का हिस्सा रही हैं। बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी और AIMIM जैसे दलों के नेताओं ने समय-समय पर उनकी छवि को निशाना बनाया। हालिया रेखा गुप्ता वाली घटना (अप्रैल 2025) ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया। हालांकि, अखिलेश ने अक्सर ऐसी टिप्पणियों को नजरअंदाज किया या अपने बयानों से पलटवार किया, लेकिन उनके समर्थक इन बयानों को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह द्वारा अखिलेश यादव के खिलाफ की गई टिप्पणियों के बारे में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो मुख्य रूप से 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और उससे पहले के समय से जुड़ी हैं। उस समय आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच कोई गठबंधन नहीं था, और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी करते थे। नीचे इन टिप्पणियों का विस्तारपूर्वक उल्लेख है, जो उपलब्ध जानकारी और राजनीतिक संदर्भों पर आधारित है।
- अरविंद केजरीवाल द्वारा टिप्पणियाँ
समय: 2016-2017 (उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान)
टिप्पणी: “अखिलेश ने दंगे कराए, भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया”
विवरण: 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने अखिलेश यादव की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। केजरीवाल ने कहा था कि अखिलेश यादव की सरकार में “102 दंगे” हुए, जिन्हें वोट बैंक की राजनीति के लिए करवाया गया। उन्होंने अखिलेश को “भ्रष्टाचार का बादशाह” करार देते हुए स्वास्थ्य विभाग और मनरेगा जैसे क्षेत्रों में घोटालों का आरोप लगाया था। यह टिप्पणी उस समय की है जब आप यूपी में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही थी और सपा को एक कमजोर सरकार के रूप में पेश कर रही थी। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अखिलेश हर बड़े घोटाले में शामिल हैं और उनकी सरकार ने यूपी को विकास के मामले में पीछे धकेल दिया।
संदर्भ: यह बयान दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद आया था, जब केजरीवाल दिल्ली मॉडल को यूपी में प्रचारित कर रहे थे। उस समय सपा और आप में कोई सहमति नहीं थी, और दोनों एक-दूसरे को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानते थे। - संजय सिंह द्वारा टिप्पणियाँ
समय: 2016 (लगभग, यूपी चुनाव से पहले)
टिप्पणी: “सपा सरकार में गुंडागर्दी और अराजकता”
विवरण: संजय सिंह, जो उस समय आप के यूपी प्रभारी थे, ने अखिलेश यादव की सरकार पर गुंडागर्दी और अराजकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सपा सरकार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और अखिलेश यादव ने यूपी को “अपराध का गढ़” बना दिया। संजय सिंह ने खास तौर पर मुजफ्फरनगर दंगों (2013) का जिक्र करते हुए अखिलेश को नाकाम बताया था और कहा था कि उनकी सरकार ने न तो दंगों को रोका और न ही पीड़ितों को न्याय दिया।
संदर्भ: यह टिप्पणियाँ उस समय आईं जब आप यूपी में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही थी। संजय सिंह ने सपा को बीजेपी के साथ मिलीभगत का भी आरोप लगाया था, यह दावा करते हुए कि दोनों दल “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” के लिए काम करते हैं।
बाद का परिदृश्य
2017 के बाद से सपा और आप के रिश्ते में काफी बदलाव आया है। 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने एक-दूसरे का समर्थन किया। अखिलेश यादव ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी (2024 में) का विरोध किया और आप की रैलियों में हिस्सा लिया, जबकि संजय सिंह ने यूपी में सपा के लिए प्रचार किया। इस दौरान दोनों पक्षों ने पुरानी टिप्पणियों को दरकिनार कर गठबंधन की राजनीति को प्राथमिकता दी। इसलिए, हाल के वर्षों में केजरीवाल या संजय सिंह की ओर से अखिलेश के खिलाफ कोई अभद्र टिप्पणी सामने नहीं आई है।
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने 2016-17 के दौरान अखिलेश यादव के खिलाफ तीखी और अभद्र टिप्पणियाँ की थीं, जिनमें उन्हें “दंगाई”, “भ्रष्टाचारी”, और “नाकाम” जैसे शब्दों से नवाजा गया। ये बयान उस समय के राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा थे। हालांकि, 2024 और 2025 में दोनों दलों के बीच सहयोग बढ़ने से ऐसी टिप्पणियाँ बंद हो गई हैं