आगरा के दवा माफिया के बयान से टास्ट फोर्स फंस गया है। साफ-साफ कहा गया है कि पुलिसकर्मी महीनेदारी ले रहे थे। इन बयानों के बाद पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी सिटी से रिपोर्ट मांगी है। आगरा के सिकंदरा के औद्योगिक क्षेत्र में नकली-नशे की दवाओं की फैक्टरी चार महीने से धड़ल्ले से चल रही थी। दवा माफिया विजय गोयल जेल से रिहा होने के बाद बड़े आराम से अवैध धंधा कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद माफिया ने कई राज उगल दिए। इससे एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स कठघरे में आ गई। महीनेदारी पर फैक्टरी चलने की बात सामने आने पर पुलिस आयुक्त ने डीसीपी सिटी को जांच दी है।
मंगलवार को नकली-नशे की दवाओं की फैक्टरी पकड़ी गई थी। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने छापा मारा था। माफिया विजय गोयल सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर 8 करोड़ का कच्चा माल, मशीनरी बरामद की थी। पहले वो जुलाई 2023 में पकड़ा गया था। सिकंदरा और बिचपुरी में फैक्टरी मिली थीं। फरवरी में जमानत पर बाहर आया। हवाला से रकम लेकर फैक्टरी चला रहा था।
विजय गोयल ने एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह और डीसीपी सिटी सूरज राय को कई जानकारियां दीं। दवा फैक्टरी में कितने लोग शामिल हैं। फैक्टरी में उसकी काैन मदद कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी ने यह भी बताया कि खाकी वालों का भी हाथ सिर पर था। इसके लिए महीनेदारी देनी पड़ रही थी। इसमें एएनटीएफ के कुछ लोग थे। एक सिपाही की मदद से वह उन तक पहुंचा था। अब हिमाचल प्रदेश में एक परिचित की मदद से फैक्टरी खोलने वाला था। यहां फैक्टरी बंद करने वाला था। इस बात की भनक महीनेदारी लेने वालों को हुई। उन्होंने छापा मारकर अपना गुडवर्क दिखा दिया।
पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गाैड ने बताया कि दवा माफिया ने बयान में एएनटीएफ के कुछ कर्मियों पर आरोप लगाए हैं। डीसीपी सिटी से जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। रिपोर्ट वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजी जाएगी। अगर, आरोप की पुष्टि होती है तो नियमानुसार कार्रवाई भी कराई जाएगी।दवा माफिया के पूछताछ में हुए खुलासे के बाद विभाग में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। मामला लखनऊ तक पहुंच गया है। अधिकारियों के पास फोन भी आने लगे हैं। पूर्व में विजय गोयल की दो फैक्टरी संचालित होते मिली थीं। आरोपियों को जेल भेजा गया था। तब पुलिस पर जांच थी। दोबारा विजय गोयल पकड़ा गया तो जांच एएनटीएफ ने ले ली थी।