प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने में अभी और समय लगेगा. मृतकों की सटीक संख्या और हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए आयोग को और सबूत जुटाने हैं. इस कारण आयोग का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने की तैयारी है. हाल ही में एक न्यूज एजेंसी की जांच में सामने आए दावों की भी आयोग गहन पड़ताल करेगा.
राज्य सरकार ने 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दौरान हुई भगदड़ की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था. आयोग में पूर्व डीजी वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस डीके सिंह सदस्य हैं. आयोग ने प्रयागराज में कई बार घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ित परिवारों, पुलिस अधिकारियों, प्रत्यक्षदर्शियों, चिकित्सकों और मीडियाकर्मियों सहित करीब 200 लोगों के बयान दर्ज किए. फिर भी, कई अधिकारियों और उन पीड़ितों के बयान अभी बाकी हैं, जिनके परिजन अन्य राज्यों से आए थे और भगदड़ में मारे गए.
आयोग ने बयान दर्ज करने के लिए इन लोगों को बुलाया है. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, एक न्यूज एजेंसी ने दावा किया कि कुछ पीड़ित परिवारों को नकद मुआवजा मिला. आयोग इन दावों की सत्यता की जांच करेगा, जिसके बाद ही मृतकों की संख्या और हादसे के कारणों पर अंतिम निष्कर्ष निकाला जाएगा. प्रशासन ने भगदड़ में 37 लोगों की मौत का दावा किया था, लेकिन इस संख्या को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए हैं.
हादसे के अगले दिन से आयोग ने काम शुरू कर दिया था. मार्च में जनपथ मार्केट सचिवालय में बयान दर्ज करने और वीडियो फुटेज जैसे साक्ष्य जुटाने की अपील की गई थी. फरवरी में हाईकोर्ट की एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आयोग का दायरा बढ़ाया गया. इसमें मेला क्षेत्र की सभी भगदड़ घटनाओं, जान-माल के नुकसान और प्रशासनिक समन्वय की जांच शामिल की गई. इस वजह से फरवरी में एक महीने और मार्च में तीन महीने के लिए आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया. अब तीसरी बार कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत बताई जा रही है, ताकि जांच पूरी हो सके.