आगरा में मरीजों पर आर्थिक बोझ. एक रुपये के पर्चे पर 550 रुपये से अधिक की दवाएं

एसएन मेडिकल कॉलेज में दवाओं की कमी. मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ रही महंगी दवाएं

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में मरीजों को इलाज के लिए भारी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक रुपये के पर्चे पर 550 से 623 रुपये तक की दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. बारिश और उमस के कारण त्वचा रोग, कान की समस्याएं और पेट से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. लेकिन अस्पताल में इन बीमारियों की दवाओं की भारी कमी है. खास तौर पर ईएनटी और त्वचा रोगों की दवाओं का टोटा है. मरीजों को पर्चे पर लिखी सात दवाओं में से महज दो या तीन ही अस्पताल से मिल पा रही हैं. बाकी दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं जो काफी महंगी हैं.

अस्पताल में रोजाना औसतन तीन हजार मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इनमें स्कैबीज, खुजली, फंगल इन्फेक्शन, कान में दर्द, सूजन, संक्रमण, टायफाइड और डायरिया जैसी समस्याएं आम हैं. मरीजों का कहना है कि सस्ती दवाएं तो अस्पताल से मिल जाती हैं लेकिन महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं. प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से दवा कंपनियों की ओर से आपूर्ति प्रभावित होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. उन्होंने दावा किया कि कंपनियों से बात हो चुकी है और इस सप्ताह से जरूरी दवाओं की उपलब्धता शुरू हो जाएगी.

मरीजों की शिकायतें

मरीजों ने अपनी परेशानियां साझा करते हुए बताया कि अस्पताल में दवाओं की कमी के कारण उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ रहा है. जलेसर के ब्रजमोहन ने बताया कि उनकी पत्नी के त्वचा रोग के इलाज के लिए पर्चे पर लिखी ज्यादातर दवाएं अस्पताल में नहीं मिलीं. उन्हें 623 रुपये की दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ीं. ईदगाह की राजकुमारी ने कहा कि वे अपने बेटे और खुद के लिए कान और पेट की बीमारी का इलाज कराने आई थीं. सस्ती दवाएं तो मिलीं लेकिन दो महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ीं. सेंट जोंस चौराहा के चिरंजीव शर्मा ने बताया कि स्कैबीज की तीन दवाएं अस्पताल से मिलीं लेकिन बाकी 550 रुपये की दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ीं. उन्होंने सुझाव दिया कि अस्पताल प्रशासन को मौसमी बीमारियों की दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखना चाहिए.

यह स्थिति मरीजों के लिए न केवल आर्थिक बोझ बढ़ा रही है बल्कि अस्पताल की व्यवस्था पर भी सवाल उठा रही है. मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में सस्ता इलाज मिलना चाहिए लेकिन दवाओं की कमी के कारण उन्हें मजबूरन बाजार की ओर रुख करना पड़ रहा है. दवाओं की आपूर्ति जल्द बहाल होने की उम्मीद में मरीज और उनके परिजन राहत की आस लगाए बैठे हैं.

Leave a Comment