मंदिरों में उत्साहपूर्ण माहौल
आगरा में सावन के पहले सोमवार पर शिव मंदिरों में भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। माथे पर चंदन और हाथों में डमरू लिए श्रद्धालु बम-बम भोले के जयघोष के साथ भक्ति में डूबे नजर आए। रविवार रात से ही राजेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए गए। बल्केश्वर, रावली, कैलाश, मन:कामेश्वर और पृथ्वीनाथ मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। लाखों भक्तों के सोमवार को अभिषेक के लिए पहुंचने की उम्मीद है। मंदिरों के बाहर मेले जैसा माहौल रहा, जहां पूजा सामग्री और अन्य दुकानें सजीं।
राजेश्वर महादेव मंदिर की खासियत
राजेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डीके वशिष्ठ ने बताया कि यह मंदिर उत्तर प्रदेश में 101 फीट ऊंचा एकमात्र शिव मंदिर है, जो राम मंदिर को छोड़कर अद्वितीय है। इस मंदिर की शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलती है। सुबह सफेद, दोपहर में हरा और शाम को हल्का नीला रंग दिखाई देता है। रविवार रात 12:05 बजे से अभिषेक के लिए भक्तों की कतार लग गई। भीड़ को संभालने और सुविधा के लिए पुलिस और मंदिर सेवकों की व्यवस्था की गई।
बल्केश्वर महादेव में पूजा अनुष्ठान
बल्केश्वर महादेव मंदिर के महंत कपिल नागर ने बताया कि पहले सोमवार को भोलेनाथ का दूध और दही से अभिषेक होगा। सुबह 8 बजे से 10 बजे तक जलधारी शुरू होगी, फिर 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक महंत द्वारा अभिषेक किया जाएगा। इस दौरान सामान्य दर्शन बंद रहेंगे। दोपहर 1 बजे आरती के बाद कपाट शयन के लिए बंद होंगे। बाबा को 56 भोग और फूलों से सजाया जाएगा। शाम 5 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन के लिए कपाट खुलेंगे। प्रशासन और मंदिर कमेटी ने सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।
कैलाश और पृथ्वीनाथ मंदिर की तैयारियां
कैलाश नाथ महादेव मंदिर में महंत भरत गिरि ने बताया कि तड़के रुद्राभिषेक के बाद बाबा को पंच स्नान कराया जाएगा। इसके बाद आरती होगी। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में महंत अजय राजौरिया ने बताया कि मंगला आरती के बाद दर्शन शुरू होंगे। दिन में पांच बार आरती होगी। दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक शयन के लिए कपाट बंद रहेंगे, और रात 9 बजे शयन आरती के बाद मंदिर बंद होगा।
पूजा सामग्री और विधि
सावन सोमवार की पूजा के लिए फूल, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चंदन, इत्र, धूप, दीप, पंच मेवा, पंच मिष्ठान्न और अन्य सामग्री उपयोग की जाती है। पूजा विधि में प्रात: स्नान के बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत से रुद्राभिषेक और बिल्वपत्र अर्पण किया जाता है। शिव, पार्वती और गणेश को तिलक लगाकर घी और शक्कर का भोग लगाया जाता है। इसके बाद धूप-दीप से आरती की जाती है और दिनभर फलाहार के साथ शिव स्मरण किया जाता है। यह पवित्र दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।