आगरा। आईजीबी सुग्रीव स्टेट हिंदू यूनिवर्सिटी में 14-16 अक्टूबर को आयोजित चतुर्थ वैश्विक संस्कृत सम्मेलन में डॉ. निशीथ गौड़ को उनके उत्कृष्ट शोध पत्र के लिए ‘बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड 2025’ से नवाजा गया। सम्मेलन का विषय “समकालीन चुनौतियों के समाधान में वैदिक धर्म और भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता” रहा, जिसमें भारत और इंडोनेशिया के विद्वान, राजनयिक व शिक्षाविदों ने भाग लिया।
त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ यज्ञीय विधि-विधान से गरिमामय वातावरण में हुआ। उद्घाटन सत्र में मंगलाचरण के बाद स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया गया। सत्र की अध्यक्षता प्रो. डॉ. आई. गुस्ति नुग्रह सुदियाना, कुलपति, आईजीबी सुग्रीव स्टेट हिंदू यूनिवर्सिटी ने की।
मुख्य अतिथि डॉ. शशांक विक्रम, वाणिज्य दूत, भारत के दूतावास, बाली ने संस्कृत और भारतीय दर्शन की वैश्विक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विचारधारा मानवता के सतत विकास और विश्व शांति का प्रेरणास्रोत है। सारस्वत अतिथि प्रो. मुरलीमनोहर पाठक, कुलपति, श्रीलालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा को नैतिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधार बताया।
मुख्य वक्ता प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, कुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने वैदिक चिंतन की वैज्ञानिक एवं नीतिपरक दृष्टि का विश्लेषण किया। उन्होंने पर्यावरणीय, सामाजिक और नैतिक संकटों के समाधान में वैदिक विचारों की उपयोगिता पर जोर दिया। डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मेघालय एवं राज्यपाल के सचिव ने वैदिक चिंतन की उपादेयता पर अपने विचार रखे। इन अतिथियों की उपस्थिति ने भारत-इंडोनेशिया के सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने का संदेश दिया।
सम्मेलन का समन्वय रसा आचार्य डॉ. आई. मादे दर्नायासा ने कुशलतापूर्वक किया। संयोजक डॉ. राजेश कुमार मिश्र, अंतरराष्ट्रीय सचिव, ग्लोबल संस्कृत फोरम ने कहा कि यह संगोष्ठी संस्कृत को वैश्विक संवाद, सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिक जागरण का माध्यम बनाने का प्रयास है।
सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि वैदिक धर्म और भारतीय ज्ञान परंपरा पर्यावरण संरक्षण, नैतिक शासन तथा मानवीय कल्याण जैसे समकालीन मुद्दों के लिए गहन समाधान प्रदान करती है। यह आयोजन “वसुधैव कुटुम्बकम्” के शाश्वत संदेश को पुनर्स्थापित करने में सफल रहा। इस दौरान 60 से अधिक आचार्यगणों ने प्रत्यक्ष रूप से तथा 250 ने ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किए। साथ ही, पंचम वैश्विक संस्कृत सम्मेलन जापान में आयोजित होने की घोषणा की गई।





