सपा नेता के आरोपों पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर का जवाब
मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच विवाद गहरा गया है. हाल ही में अखिलेश यादव ने धीरेंद्र शास्त्री पर कथावाचन के लिए मोटी फीस लेने और अंडर टेबल पैसे लेने का आरोप लगाया था. इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने बिना नाम लिए पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जो लोग उन पर टिप्पणी कर रहे हैं, अगर इससे उनकी रोटी पच रही है, तो भगवान करें कि उनकी रोटी पचती रहे. यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने इस विवाद को और हवा दे दी है.
लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान अखिलेश यादव ने कथावाचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ कथावाचक कथा के लिए 50 लाख रुपये तक की फीस लेते हैं. उन्होंने विशेष रूप से धीरेंद्र शास्त्री का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी कथा करवाना हर किसी के बस की बात नहीं है, क्योंकि वह मोटी रकम और अंडर टेबल पैसे लेते हैं. अखिलेश ने यह भी कहा कि गरीब लोग ऐसे कथावाचकों से कथा नहीं करवा सकते. उनके इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.
लगभग एक महीने की विदेश यात्रा के बाद छतरपुर लौटे धीरेंद्र शास्त्री ने अखिलेश के आरोपों पर अप्रत्यक्ष रूप से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनकी आलोचना करके अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं. शास्त्री ने यह भी जोड़ा कि वह अपने कार्यों से लोगों का विश्वास जीत रहे हैं और उनकी कथाएं समाज में आस्था और संस्कृति को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि यह जवाब अखिलेश यादव के लिए था.राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस विवाद ने राजनीतिक दलों और आम लोगों के बीच बहस छेड़ दी है. भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के समर्थकों का कहना है कि अखिलेश ने गरीबों की आवाज उठाई है. सोशल मीडिया पर भी लोग इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं. कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में हैं, तो कुछ अखिलेश के बयान को सही ठहरा रहे हैं.
यह विवाद धार्मिक और राजनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बन गया है. धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता और उनके कथावाचन के आयोजनों में भारी भीड़ को देखते हुए यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है. दूसरी ओर, अखिलेश यादव के बयान को उनकी राजनीतिक रणनीति के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है. इस बीच, दोनों पक्षों के समर्थक अपने-अपने तर्कों के साथ इस बहस को और गर्म कर रहे हैं.
धीरेंद्र शास्त्री और अखिलेश यादव के बीच यह जुबानी जंग न केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित है, बल्कि यह धार्मिक आस्था और राजनीति के बीच टकराव को भी दर्शाती है. इस विवाद का भविष्य में क्या असर होगा, यह देखना बाकी है.