अनियंत्रित बस ने मचाई तबाही
इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक दर्दनाक हादसा हुआ. बिहार के मधुबनी से दिल्ली जा रही एक डबल डेकर बस अनियंत्रित होकर रेलिंग तोड़ते हुए खाई में जा गिरी. इस भीषण हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक यात्री घायल हो गए. घायलों को तत्काल सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है. यह घटना गुरुवार तड़के करीब चार बजे सैफई क्षेत्र में किलोमीटर संख्या 103 पर हुई. हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया.
हादसे का विवरण और बचाव कार्य
बुधवार को मधुबनी से दिल्ली के लिए रवाना हुई यह डबल डेकर बस करीब 70 यात्रियों को लेकर चल रही थी. गुरुवार सुबह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पहुंचते ही बस अचानक अनियंत्रित हो गई और रेलिंग तोड़कर खाई में गिर गई. हादसे की सूचना मिलते ही यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) की टीम और स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची. बचाव दल ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और सभी घायलों को खाई से निकालकर अस्पताल पहुंचाया. हादसे में सहीना (20), बरदाहा गांव, थाना जलेसर, जिला मोहतारी, नेपाल और मनोज कुमार (59), रामपुर डीह, दरभंगा, बिहार की मौत हो गई. अन्य घायलों में से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है, और उनका इलाज जारी है.
स्थानीय प्रशासन की तत्परता
हादसे के बाद यूपीडा और पुलिस की टीम ने तेजी से कार्रवाई की. घायलों को तुरंत सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने तत्काल उपचार शुरू किया. इटावा के जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने बताया कि बस में करीब 52 से 55 यात्री सवार थे. उन्होंने कहा कि प्रशासन घायलों के इलाज और उनके परिजनों को सूचित करने में जुटा है. हादसे की जांच शुरू कर दी गई है, और प्रारंभिक तौर पर बस के अनियंत्रित होने का कारण चालक की लापरवाही या तकनीकी खराबी माना जा रहा है. हालांकि, जांच पूरी होने के बाद ही सटीक कारणों का पता चल सकेगा.
हादसे ने उठाए सवाल
यह हादसा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाली दुर्घटनाओं की कड़ी में एक और दुखद घटना है. इस एक्सप्रेसवे पर पहले भी कई बड़े हादसे हो चुके हैं, जिसके चलते सड़क सुरक्षा और रखरखाव के मुद्दे बार-बार चर्चा में आते हैं. स्थानीय लोग और यात्री इस हादसे के बाद सड़क सुरक्षा मानकों पर सवाल उठा रहे हैं. यह घटना न केवल प्रशासन के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि सड़क सुरक्षा को और गंभीरता से लेने की जरूरत है.