अगर आप भी Income tax देते हैं, तो यह देखिए आपके लिए यह खुशखबरी।

कोर्ट ने आयकर विभाग को यह आदेश दिया है कि 3 साल बाद पुनर्मूल्यांकन आदेश केवल वहीं जारी कर सकता है जिनमें अपुस्ट छुपाई गई तथा इनकम 50 लाख रुपये सेअधिक होगी |

इनकम टैक्स :

आपको बतादें कि तीन साल से अधिक पुराने इनकम टैक्स के मामले में आयकर विभाग नोटिस नहीं दे सकता हैं, इस पर कोर्ट ने दिया आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट:

सोमवार यानी 20 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट एक अहम आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्टका कहना है,आयकर विभाग 3 साल से अधिक बीत जाने के बाद इनकम टैक्स से जुड़े कोई मामले दोबारा नहीं खोल सकता है. केवल उन्हीं मामलों में 3 साल के बाद भी ऑर्डर जारी किया जा सकता है जिनमें अपुस्ट छुपाई गई इनकम 50 लाख रुपये से अधिक हो. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास 50 लाख रुपये से अधिक आय छुपाने और सीरीयड फ्रॉड मामलों में 10 साल तक का वक्त होता है जिसमें वो पुनर्मूल्यांकन ऑर्डर निकाल सकता है |

10 साल से पुराने टैक्स पुनर्मूल्यांकन ऑर्डर कब कर सकते हैं:

लाइव लॉ की जानकारी के अनुसार ये खबर मिली है, कि आयकर आकलन को फिर से खोलने के लिए एक्सटेंडेड 10 साल का समयकाल सिर्फ तभी लागू होना चाहिए जब टैक्स चोरी की मंशा से 50 लाख रुपये से अधिक की रकम की इनकम को छुपाया गया हो |

दिल्ली हाई कोर्ट के अनुसार आईटी ऐसेसमेंट के लिए सामान्य टाइमलाइन 3 साल होगी:

दिल्ली हाई कोर्ट में एक अहम मामले की सुनवाई के समय जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस गिरीश कथपालिया की बेंच ने कहा कि निर्धारण वर्ष के खत्म होने के तीन साल के बाद ‘सामान्य मामलों में’ नोटिस जारी करने का कोई मनसा नहीं थी. अदालत का कहना है,कि सिर्फ कुछ खास मामलों में ही पुनर्मूल्यांकन नोटिस 3 साल के बाद भी जारी किया जा सकता है. ये मामले वो हैं जिनमें या तो छुपाई गई इनकम की रकम 50 लाख रुपये से अधिक निकलती हो अथवा आयकर चोरी या फ्रॉड का मामला काफी गंभीर हो |

आयकर अधिनियम की धारा 148 के अनुसार कोर्ट ने की यह टिप्पणी:

दिल्ली हाई कोर्ट को आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत याचिकाकर्ता को जारी किए गए नोटिस की वैधता तय करनी थी. इसी सिलसिले में कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण टिप्पणी की. धारा 148 की पुरानी व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स ऑफिसर 6 साल तक के पुराने मामलों को खोल जा सकता है. दूसरी ओर 10 साल पुराने मामलों को भी खोलने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन इसके लिए करदाता की वार्षिक इनकम 50 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए |

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