राजस्थान वित्त विभाग से ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसका उदाहरण देश में शायद ही कहीं और देखने को मिले। पहले RWSSC को HUDCO से 4,000 करोड़ रुपये का लोन दिलवाया। इसे चुकाने के लिए विधानसभा को बताए बिना पीएचईडी का 500 करोड़ का राजस्व बजट मद 0215 में जमा करवाए बिना सीधे RWSSC को ट्रांसफर करने का प्रावधान कर दिया। साधारण शब्दों में समझें तो विधानसभा के अधिकारों का हनन है, अब सीएजी ने भी इसे संविधान के खिलाफ बाताते हुए आपत्ति जड़ दी है।
राजस्थान वित्त विभाग में जहां हाथ डालो, वहीं घोटाले निकल रहे हैं। इस बार बेहद अनोखा कांड सामने आया है। पहले सरकार में अपने नंबर बढ़वाने के लिए जमकर कर्ज लिया। यहां तक की विधानसभा की जानकारी के बाहर जाकर हजारों करोड़ रुपये की ऑफ बजट बोरोइंग कर डाली। इस कर्ज को चुकाने के लिए एक आदेश जारी कर विधायका की शक्तियों पर अतिक्रमण कर डाला।
वित्त विभाग के अधिकारियों ने 500 करोड़ का रेवेन्यू बजट मद 0215 में जमा करवाने के बजाय सीधे RWSSC के पीडी खातों में जमा करवाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिए। इसके लिए वित्त मार्गोपाय विभाग की आईडी संख्या 102205684 से यह आदेश जारी किया। दरअसल, पीडी खातों में जमा राजस्व को खर्च करने के लिए विधायिका की अनुमति की जरूरत नहीं होती। इतना ही नहीं इन्होंने इस बजट मद में पहले से जमा राशि में से 200 करोड़ की राशि विधायिका की बिना अनुमति के जरनल एंट्री (जेई) द्वारा इस पीडी खाते में स्थानांतरित कर खर्च दी। आगे ऐसी समस्त राशि पीडी खातों में जमा करवाने के लिए इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल बजट मैनेजमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) पर प्रोविजन भी करवा लिया।
पीएचईडी विभाग के बजट मद 0215 में पानी के लगने वाले यूजर चार्जेज एवं अन्य से सालाना 500 करोड़ की आय होती है। जो संवैधानिक प्रावधानों के तहत राज्य की संचित निधि में जमा होती है। विधानसभा के बजट सत्र में विधायिका द्वारा प्रदत्त सीमा के अंतर्गत बजट शीर्ष 4215 के अंतर्गत इसे पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च किया जाता है।
समझें खेल क्या है?
RWSSC को HUDCO से 4000 करोड़ रुपये का लोन दिलवाया गया। वित्त विभाग के अफसरों ने इसे अन्य योजनाओं में ठिकाने लगा दिया। ऐसे में यह लोन और इसका ब्याज कैसे चुकाया जाए, यह बड़ा सवाल है। क्योंकि यह ऑफ बजट बोरोइंग है, जिसकी जानकारी विधायिका को नहीं दी गई। यदि बजट में विधायका से RWSSC को 4000 करोड़ की ग्रांट देने की मांग की जाती है तो ऑफ बजट बोरोइंग की जानकारी विधायिका के सामने रखनी पड़ेगी। इसलिए इस लोन को चुकाने के लिए अफसरों ने विधायिका को बॉयपास कर सीधे पीएचईडी की सालाना 500 करोड़ की रेवेन्यू को RWSSC के पीडी खातों में ट्रांसफर करने का खेल रच दिया।
सीएजी ने क्या-क्या आपत्ति जताई
संविधान के अनुच्छेद 205 व 206 के तहत राज्य सरकार को प्राप्त होने वाली राजस्व राशियों को सबसे पहले कंसोलिडेटेड फंड में जमा करवाना चाहिए
इसके बाद विधानसभा की ओर से अनुमत किए गए बजट प्रावधानों के बाद ही यह पीडी खातों में ट्रांसफर किए जाने चाहिए
लेकिन वित्त विभाग का यह आदेश न सिर्फ संविधान को धता बता गया, बल्कि विधानसभा को भी बॉयपास करने वाला है
मौजूदा बजट सत्र में इस यह आदेश सरकार के लिए भूचाल खड़ा कर सकता है। क्योंकि सीएजी ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सरकार से इस संबंध में जारी प्रशासनिक स्वीकृति/परिपत्र/आदेशों की प्रति मांग ली है।
साथ ही यह भी निर्देशित किया है कि इस औचित्य और उद्देश्य से आदेश जारी किए गए वह भी बताया जाए
एक नहीं ऐसे अनेकों कांड किए हैं, जहां इन्होंने ऑफ बजट बोरोइंग की है। कॉरपोरेशंस की एफडी तक तुड़वा ली। इन्होंने विधानसभा को बॉयपास कर उसका भी अपमान किया है।