भारत का जीएसटी संग्रह रिकौर्. 8 साल में 22.08 लाख करोड़ तक पहुंचा

पांच साल में दोगुना हुआ कर संग्रह

भारत में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को लागू हुए आठ साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान जीएसटी संग्रह ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह आंकड़ा वर्ष 2020-21 के 11.37 लाख करोड़ रुपये की तुलना में दोगुना है. पिछले पांच वर्षों में यह उल्लेखनीय वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में तेजी और कर अनुपालन में सुधार को दर्शाती है. जीएसटी ने देश की कर प्रणाली को एकीकृत कर व्यापार को आसान बनाया है.

जून 2025 में जीएसटी संग्रह 1.85 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है. इस दौरान घरेलू लेनदेन से 1.50 लाख करोड़ रुपये और आयात से 51,266 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. मई 2025 में संग्रह 2.01 लाख करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल में यह 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था. वित्त वर्ष 2024-25 में औसत मासिक संग्रह 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2023-24 के 1.68 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 के 1.51 लाख करोड़ रुपये से काफी अधिक है. यह वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है.

जीएसटी लागू होने के समय 2017 में पंजीकृत करदाताओं की संख्या 65 लाख थी जो अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई. इसमें 1.32 करोड़ सामान्य करदाता 14.86 लाख कम्पोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत छोटे करदाता और 3.71 लाख टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानी टीडीएस खाते शामिल हैं. इस वृद्धि से पता चलता है कि जीएसटी ने छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स को कर प्रणाली में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जीएसटी ने 17 स्थानीय करों और 13 उपकरों को एक पांच स्तरीय संरचना में समाहित कर कर प्रणाली को सरल बनाया है. इससे व्यापार लागत में कमी आई और राज्यों के बीच माल की आवाजाही आसान हुई. एक सर्वे के अनुसार 85 प्रतिशत व्यवसायों ने जीएसटी से सकारात्मक प्रभाव की बात कही है. विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी संग्रह में यह वृद्धि भारत की आर्थिक प्रगति और कर अनुपालन में बढ़ती जागरूकता का प्रतीक है. भविष्य में और सख्त अनुपालन उपायों से यह संग्रह और बढ़ सकता है.

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