इस साल कार्तिक अमावस्या 31अक्टूबर की दोपहर करीब 3 बजे से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 1 नवंबर की शाम करीब 4.40 बजे तक रहेगी। कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है। इसलिए 31 अक्टूबर की रात लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि 31 की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और 1 नवंबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी।
मंगलवार:- 29 अक्टूबर से दीपोत्सव शुरू हो जाएगा। इस दिन धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस पर भगवान धनवंतरि जयंती भी मनाते हैं। धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
बुधवार:- 30 अक्टूबर को रूप चौदस मनाई जाएगी, इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन उबटन लगाने की परंपरा है। माना जाता है कि इस तिथि भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसी वजह से इस पर्व को नरक चतुर्दशी कहते हैं।
गुरुवार:- 31 अक्टूबर की रात देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाएगी। मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया था। इसके साथ एक अन्य मान्यता ये है कि इस तिथि पर भगवान राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके और रावण वध करके अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने राम के स्वागत के लिए दीपक जलाए थे।
शुक्रवार:- 1 नवंबर को भी कार्तिक मास की अमावस्या रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करना चाहिए। दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करें। इस दिन शाम को कार्तिक अमावस्या तिथि खत्म हो जाएगी।
शनिवार:- 2 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी गोवर्धन पूजा पर्व है। इस दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था, तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।
रविवार:- 3 नवंबर को भाई दूज है। ये पर्व यमुना और यमराज से संबंधित है। माना जाता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। यमुना यमराज को भोजन कराती हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है, यमराज-यमुना की कृपा से उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और भाग्य का साथ मिलता है।