केजरीवाल ने चुनाव के वक्त जो शगूफा छोड़ा था उसका असर अब दिखने लगा है योगी को कौन हटाना चाहता है? इसका हुआ खुलासा आखिर कौन है , जो रच रहा सीएम योगी के खिलाफ साजिश यूपी के खराब प्रदर्शन का असल जिम्मेदार आखिर कोन है योगी ने उठाया बड़ा कदम , पता चल गई साजिश
बीजेपी के अंदर काफी तनाव है। प्रधानमंत्री जी अमित शाह को उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। बाकी लोग ये नहीं चाहते हैं। बीजेपी वालों ने खंडन नहीं किया है कि योगी जी को हटाया जा रहा है।
ये बात दबी जुबान में पूरे देश में चल रही है। अगला नंबर योगी आदित्यनाथ का है। ये 2 महीने के भीतर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बदल देंगे।” चुनाव प्रचार के लिए तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 11 मई को 21 मिनट की स्पीच में ऐसे-ऐसे दावे किए, जिसके काउंटर के लिए खुद देश के गृह मंत्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मैदान में उतरना पड़ा। अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पीएम का सवाल उठाकर उस फेस वैल्यू के नैरेटिव को पलटने की कोशिश की, जो विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को लगातार रक्षात्मक मुद्रा में बनाए हुए था। इसके साथ ही आप संयोजक मोदी के कथित उत्तराधिकारियों-अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच दरार पैदा करने की कोशिश के तहत इस बहस को हवा देने की चाल चली। दोनों ही नेताओं को अलग-अलग कारणों से अलग-अलग वर्गों की तरफ से स्पष्ट उत्तराधिकारी माना जाता है। एक वक्त था जब पीएम मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर गृह मंत्री अमित शाह को देखा जाने लगा था। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जब से यूपी की सत्ता संभाली है। सख्त शासन के दम पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। तब से देश की जनता योगी आदित्यनाथ को मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखने लगी है। र कैंपेनर के लिहाज से देखें तो उन्हें भाजपा नेताओं में मोदी के बाद दूसरे स्थान पर माना जाता है। बीजेपी हलकों में दोनों के बीच के आपसी रिश्तों को लेकर संशय जताई जाती रही है। लेकिन इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति ने दिल्ली का पारा भी बढ़ा कर रख दिया है। कोई कह रहा है कि आत्मविश्वास से हारे, लेकिन सवाल किसके आत्मविश्वास से हारे? कोई कह रहा है कि सरकार संगठन से बड़ा नहीं होता, कौन सी सरकार है जो संगठन से बड़ी हो गई है? कोई कह रहा कि अधिकारी काम नहीं कर रहे, कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं हो रहा, किन कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी जा रही है? कोई कार्यकर्ताओं के आत्मविश्वास पर ठीकरा फोड़ रहा है। कोई संगठन और सरकार के बीच की लकीर खींच दे रहा है। बयान कई हैं, लेकिन इसके मायने क्या है? कुल मिलाकर कहें तो अरविंद केजरीवाल ने जो बयान दिया था उसके ईर्द-गिर्द सुर्खियां बुनी गई उसे लेकर लिए अंदरखाने बातचीत अब भी चल रही है। सरकार और संगठन के बीच क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक-एक करके तमाम सवालों का एमआरआई स्कैन करते हैं।
धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं और राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं। यूं तो ये बात लोहिया ने कही और लोहिया का नाम जपकर समाजवाद के नाम पर सत्ता चलाने वालों को जब यूपी के जनादेश ने मटियामेट कर दिया तो पहली बार किसी धार्मिक स्थल का प्रमुख किसी राज्य का सीएम बना। केंद्र में बीजेपी नेताओं की जिस तरह से स्थिति दिख रही है। यूपी में जिस तरह बीजेपी के संगठन और विधायकों की लामबंदी देखी जा रही है। उससे ये हो सकता है कि योगी को मनाकर केंद्र में कोई मंत्रालय दिया जाए। लेकिन योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व की बात करें तो वो इसती आसानी से मानने वालों में नहीं हैं। वो आखिरी दम तक लड़ने में विश्वास रखते हैं और अपनी जिद पर अड़े रहते हैं। गौरतलब है कि ऐसा भी नहीं है कि योगी आदित्यनाथ के सामने ऐसी चुनौतियां पहली दफा सामने आई है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भी उनकी मुश्किलें बढ़ी थी। लेकिन नवंबर 2021 में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के साथ दो ऐसी तस्वीरें शेयर की जो बताने के लिए पर्याप्त थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह उनके साथ खड़े हैं और उनके नेतृत्व को लेकर आलाकमान में कोई संशय नहीं है। इन तस्वीरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कंधे पर हाथ रखे हुए हैं और उनके साथ कुछ चर्चा करते नजर आ रहे थे। उस वक्त पीएम मोदी और अमित शाह से मिल कर योगी ने मार्गदर्शन लिया और समास्या से पार पा लिया। लेकिन क्या बार-बार ऐसा संभव है?
ब्यूरो रिपोर्ट TNF Today .