लखनऊ में सनसनीखेज खुलासा: फर्जी बैनामों से 6 करोड़ की ठगी करने वाला बिल्डर STF के हत्थे चढ़ा, निदेशक की तलाश में छापेमारी तेज

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बड़े ठगी कांड का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की संयुक्त टीम ने इंफ्राविजन प्राइवेट लिमिटेड के मालिक प्रमोद कुमार उपाध्याय को गिरफ्तार किया है, जो फर्जी बैनामों के जरिए 30 से अधिक लोगों से छह करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हड़पने का आरोपी है। मोहनलालगंज थाने में उसके खिलाफ ठगी, जालसाजी और विश्वासघात के 30 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। कंपनी के निदेशक विनोद कुमार उपाध्याय अभी फरार है, और उसकी तलाश में पुलिस-STF की टीमें छापेमारी कर रही हैं।

कैसे रची गई ठगी की साजिश?

पुलिस के मुताबिक, प्रमोद कुमार उपाध्याय ने मोहनलालगंज में प्लॉटिंग साइट्स और फर्जी नक्शों का सहारा लेकर लोगों को झांसे में लिया। उसने सेना के जवानों, पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों को सस्ते प्लॉट्स का लालच देकर ठगी की। पीड़ितों को फर्जी बैनामे थमाए गए, लेकिन न तो उन्हें प्लॉट का कब्जा मिला और न ही उनकी रकम वापस की गई। इस धोखाधड़ी से 30 से अधिक लोगों ने छह करोड़ रुपये से ज्यादा गंवाए। शिकायतों के बाद जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो प्रमोद फरार हो गया। उसकी गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।

STF की कार्रवाई और गिरफ्तारी

लंबे समय से फरार चल रहे प्रमोद को ट्रैक करने के लिए STF और पुलिस ने मिलकर जाल बिछाया। सूचना मिली कि वह मोहनलालगंज के कान्हा उपवन इलाके में छिपा हुआ है। सोमवार सुबह एक सटीक ऑपरेशन में STF ने उसे धर दबोचा। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है, ताकि ठगी के पूरे नेटवर्क और अन्य संलिप्त लोगों का पता लगाया जा सके। पुलिस को शक है कि इस रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।

निदेशक की तलाश में चुनौती

कंपनी के निदेशक विनोद कुमार उपाध्याय की तलाश में पुलिस और STF की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, विनोद इस ठगी कांड का एक अहम किरदार है और उसके पास कई अहम सुराग हो सकते हैं। पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी है, लेकिन अभी तक वह हाथ नहीं लगा है।

पीड़ितों की शिकायतें और आगे की कार्रवाई

पीड़ितों का कहना है कि इंफ्राविजन प्राइवेट लिमिटेड ने उन्हें आकर्षक ऑफर और फर्जी दस्तावेजों के जरिए लुभाया। कई पीड़ितों ने अपनी जमा पूंजी और लोन लेकर प्लॉट्स में निवेश किया था, लेकिन उन्हें सिर्फ धोखा मिला। पुलिस अब पीड़ितों के बयान दर्ज कर रही है और ठगी की रकम की वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रमोद से पूछताछ में मिले सुरागों के आधार पर पुलिस कंपनी के बैंक खातों और अन्य संपत्तियों की जांच भी कर रही है।

पुलिस की चेतावनी

लखनऊ पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे प्रॉपर्टी खरीदने से पहले दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच करें और किसी भी कंपनी या बिल्डर पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। साथ ही, ऐसी ठगी का शिकार होने पर तुरंत नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं।

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